Samaj mein badhta dikhawa aur ghata apnapan par nibandh
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dilhawa apni soch ma hota h jo amir vo amir hi rah ege or jo garib h garib hi rhayaga phala hmara baba dada ka bich ma itna piyar thi kisi ko koi dikkat hoti to pura village ek ho jata lakin ab koi kisi ki accident ho jayae to uski bhi maddat nahi karta issa ghatta apna khata h
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आज के समय में समाज में सब दिखावा करते है चाहे वह बात करने का, कपड़ों का, रिश्तों का असल में किसी के पास समय ही नहीं है | अब मैट्रो के किसी लेडीज़ डिब्बे का नजारा देख लीजिए | आपको तमाम लेटेस्ट फैशन के कपड़े, बैग, चप्पल, गहने दिख जाएंगे | यहाँ पर कोई किसी की मदद नहीं करता.|
आज के समय किसी के पास समय नहीं है , सब अपने में व्यस्त है | किसी से कोई लगाव नहीं है | कोई अपना पन नहीं रह गया है | सब को पैसे से मतलब है , सब पैसों के पीछे भागे है |
किसी के पास किसी से बात करने का समय नहीं है|