Samaj mein sadhu Santo ka aadar swaroop kya hona chahiye
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समाज में साधु संतों का आदर्श रुप इसलिए होना चाहिए क्योंकि साधु-संत से ही भगवान का रूप देख होता है एक दोहा कहा गया है कि
गुरु गोविंद दोऊ खड़े किसके लागूं पाय ,
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
इस दोहे में गोविंद भगवान है और बलिहारी अपने गुरु ऊपर दोहे का अर्थ है कि एक समय पर जब गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े थे तो वह व्यक्ति सोच में पड़ गया कि पहले किसी प्रणाम करूं तब भगवान ने कहा कि मुझ तक पहुंचने का रास्ता तो है गुरु ने बताया है अर्थात पहले गुरु को प्रणाम करो
इसीलिए साधु-संतों को दुनिया में पूजनीय स्थान दिया जाना चाहिए
thanks ;)☺☺☺
गुरु गोविंद दोऊ खड़े किसके लागूं पाय ,
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
इस दोहे में गोविंद भगवान है और बलिहारी अपने गुरु ऊपर दोहे का अर्थ है कि एक समय पर जब गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े थे तो वह व्यक्ति सोच में पड़ गया कि पहले किसी प्रणाम करूं तब भगवान ने कहा कि मुझ तक पहुंचने का रास्ता तो है गुरु ने बताया है अर्थात पहले गुरु को प्रणाम करो
इसीलिए साधु-संतों को दुनिया में पूजनीय स्थान दिया जाना चाहिए
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