Samajik asamanta secret app kya samjte he in hindi
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वर्तमान समय में असमानता ही देश की बड़ी समस्या बनती जा रही है। हम सभी को मिलकर इसे अब खत्म करना होगा, तभी महिलाओं को सम्मान मिल पाएगा। सामाजिक असमानता, आर्थिक असमानता, शैक्षिक असमानता, क्षेत्रीय असमानता और औद्योगिक असमानता विकास में जहां बाधा बनी है वहीं महिलाओं की उपेक्षा भी हो रही है।
सामाजिक असमानता के कारण ही आज समाज में आपसी प्रेम, भाईचारा, मानवता, इंसानियत और नैतिकता खत्म होती जा रही है। व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए समाज को जाति और धर्म में बांटा जा रहा है। महिलाओं को जाति के बंधन में बांधा जा रहा है। महिलाएं कुछ आगे बढ़ी हैं लेकिन अभी स्थिति काफी खराब है। समाज के गरीब लोग जिस हाल में थे आज भी वहीं पे खड़े हैं या फिर और गरीब ही होते जा रहे हैं। आर्थिक न्याय ही सामाजिक न्याय का नींव है। आर्थिक न्याय के बिना हम सामाजिक न्याय की कल्पना भी नहीं कर सकते। यदि वास्तव में हम सामाजिक न्याय के पक्षधर हैं तो हमें आर्थिक न्याय को मजबूत बनाना ही होगा। शैक्षिक असमानता के कारण ही हम समाज में वंचित, उपेक्षित वर्ग की महिलाओं को अच्छी शिक्षा दे पाने में असफल साबित हो रहे हैं। हम जानते हैं कि शिक्षा के बिना किसी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र का विकास हो ही नहीं सकता। शिक्षा ऐसी हो जो हमें सोचना सिखाए, कर्त्तव्य और अधिकार का बोध कराए, हमें हमारा ह़क दिलाए, समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार बनाए। क्या आज हम समाज के सभी वर्ग की महिलाओं को शिक्षा दे पाने में सफल साबित हो रहे हैं, जो विचार का विषय है। क्षेत्रीय असमानता के कारण ही आज हम देश के विभिन्न भागों खासकर ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने में विफल साबित हो रहे हैं। वहीं, महिलाओं का शोषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तमाम कार्यालयों में अगर एक महिला काम करती है तो पुरुष उसे पैनी नजर से देखते हैं। यही नहीं उसका उपहास भी उड़ाते हैं। क्या महिला को काम करने का अधिकार नहीं है। अगर वह काम कर सकती है तो उसका उपहास क्यों उड़ाया जाता है। इसके पीछे पुरुष वर्ग के लोग व कुछ कुंठित मानसिकता के लोगों की सोच है जिससे लोग उबर नहीं पा रहे हैं। महिलाएं तो हर क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं लेकिन अभी भी वे खुद असुरक्षित महसूस कर रही हैं। किसी विभाग में बेटियों को सुरक्षित तभी रखा जा सकता है, जहां का समाज समानभाव से सभी के साथ पेश आए। आज स्थिति ठीक इसके विपरीत हो गई है लोग बहन-बेटियों को इज्जत दे रहे हैं दूसरे की तरफ उपेक्षा की नजर रख रहे हैं। इस तरह की सोच लोगों को बदलनी होगी और महिलाओं को पुरुषों के समान स्थान देना होगा। हाल के दिनों में महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, शोषण जैसे अपराधों में तेजी आई है। छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में दर्ज होने वाले मामले सबूत पेश कर रहे हैं। अपने शहर में हर दिन कि हैं। ऐसे में हर किसी को अपनी बेटी व बहन समझने की जरूरत है। जब तक लोगों के विचार नहीं बदलेंगे इस तरह की घटनाओं से मुक्ति पाना संभव नहीं है। ऐसे में सबको जागरुक होकर बेटियों के पक्ष में आगे आना होगा ताकि असमानता न आए। बेटे व बेटी में असमानता न आने दें। कभी कभार यह स्थिति आ जाती है कि लोग बेटी होने पर दु:ख व्यक्त करते हैं और बेटा होने पर जश्न मनाते हैं। हमारे समाज की असमानता की निशानी है। इसे दूर करने के लिए सभी को अपनी सोच बदलनी होगी। सोच बदलेगी तो असमानता भी दूर हो जाएगी। इसके लिए हमें अपने घर से ही शुरुआत करनी होगी। अपने भाई-बहनों को समझाना होगा। बचपन से ही उन्हें ऐसे संस्कार देने होंगे जिससे वे घर में ही नहीं बाहर भी नारी का सम्मान करना सीखेंसी न किसी छोर से छेड़खानी, बलात्कार व
हत्या जैसी घटनाएं सुनने को मिलती रहती
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