Sociology, asked by kalpanaabha193kalp, 1 year ago

samajik bebastha ke mukhiy bisestha​

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Answered by sweety759
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हर्बट स्पेंसर जैवीकीय अनुरूपता (biological analogy) से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने सामाजिक संरंचना की तुलना मानव शरीर से की। उनका कहना था कि जिस प्रकार शरीर के विभिन्न अंग होते हैं और वे सभी शारीरिक बनावट को बनाये रखते हैं उसी प्रकार समाज के भी विभिन्न अंग होते हैं जो समाज के बनावट को बनाये रखते हैं। रेडक्लिफ ब्राउन का मत था कि जब कभी हम सामाजिक संरचना का उल्लेख करते हैं तो सामाजिक सरंचना से हमारा अभिप्राय एक व्यवस्था से होता है जिसमें उस व्यवस्था व सरंचना के विभिन्न तत्व एक-दूसरे से जुड़े होते है। तत्वों के इस समीकरण और व्यवस्थित पद्धति को ही सरंचना कहा जा सकता है। सामाजिक सरंचना के संदर्भ में व्यक्ति को उस संरचना की इकाई मानते हैं। व्यक्ति सामाजिक सरंचना में एक स्थान पर बने होते हैं। उनका एक व्यवस्था में स्थान ग्रहण करना एक सामाजिक प्रक्रिया के तहत होता है जिसके अंतर्गत कुछ प्रतिमानों के कारण उन्हें वह स्थान मिला होता है। इस प्रकार सामाजिक सरंचना व्यक्ति का एक व्यवस्थित रूप है जिसमें उनके सामाजिक संबंध किसी खास संस्थात्मक मूल्यों से नियंत्रित होते हैं। अगर हम परिवार के बनावट की बात करें तो उस परिवार में रहने वाले लोगों की बात करेंगे जो लोग उस परिवार के कुछ संबंधों से जुड़े होते हैं। उस परिवार के सदस्य की एक खास भूमिका अदा करना पड़ता है। इस प्रकार एक संगठन में सभी व्यक्तियों को अपनी-अपनी भूमिका अदा करने के लिए एक-दूसरे से जुड़ा होना आवश्यक है।

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