Samajik vibhajan kab Hota Hai
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jab do decesion cross cut karte he ik dusre ko tab samajik bibhajan generate hota h
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सामाजिक विभाजन और सामाजिक विभिन्नता
समाजिक विभिन्नता का अर्थ है कि एक समूह के लोग अपनी जाति, धर्म, भाषा, सभ्यता के कारण भिन्न होते है। जब एक सामाजिक विभिन्नता दूसरी सामाजिक भिन्नता से जुड़ जाती है, तो यह सामाजिक विभाजन बन जाती है। सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते है। अमरीका में श्वेत और अश्वेत का अंतर एक समाजिक विभाजन भी बन जाता है क्योंकि अश्वेत लोग आमतौर पर गरीब हैं, बेघर हैं, भेदभाव का शिकार है। जब एक तरफ का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के है तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।
(a) सामाजिक विभिन्नता के कारण :
(i) जन्म : सामाजिक विभिन्नताओं का सबसे महत्वपूर्ण घटक भारत में एक व्यक्ति निम्न जाति का इसलिए माना जाता है क्योंकि उसका जन्म उस निम्न जाति में हुआं श्वेत और अश्वेत अपने रंग के कारण भिन्न है जो कि जन्म से ही होता है।
(ii) चुनाव के आधार पर भिन्नता : कुछ भिन्नताऐं चुनाव के अधार पर होती हैं। जैसे कि कुछ लोग नास्तिक होते है। वह भगवान या किसी धर्म को नहीं मानते है। भिन्नता व्यवसाय के कारण भी हो सकती है। लोगों में भिन्नता आर्थिक क्रियाकलाप व व्यापार को लेकर भी हो सकती है।
(iii) धर्म के आधार पर विभिन्न्ता : धर्म भी सामाजिक विभिन्नता का कारण हो सकता है। एक धर्म को मानने वाले लोग खुद को एक ही समुदाय का सदस्य नहीं मानते क्योंकि उनकी जाति या उनका पंथ अलग होता है।
(iv) आर्धिक स्तर के आधार पर विभिन्नता :एक ही धर्म या जाति के अमीर व गरीब लोग आपस में घनिष्ठ संबंध नहीं रख पाते क्योंकि सभी अलग-अलग तरीके से सोचते है।
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समाजिक विभिन्नता का अर्थ है कि एक समूह के लोग अपनी जाति, धर्म, भाषा, सभ्यता के कारण भिन्न होते है। जब एक सामाजिक विभिन्नता दूसरी सामाजिक भिन्नता से जुड़ जाती है, तो यह सामाजिक विभाजन बन जाती है। सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते है। अमरीका में श्वेत और अश्वेत का अंतर एक समाजिक विभाजन भी बन जाता है क्योंकि अश्वेत लोग आमतौर पर गरीब हैं, बेघर हैं, भेदभाव का शिकार है। जब एक तरफ का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के है तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।
(a) सामाजिक विभिन्नता के कारण :
(i) जन्म : सामाजिक विभिन्नताओं का सबसे महत्वपूर्ण घटक भारत में एक व्यक्ति निम्न जाति का इसलिए माना जाता है क्योंकि उसका जन्म उस निम्न जाति में हुआं श्वेत और अश्वेत अपने रंग के कारण भिन्न है जो कि जन्म से ही होता है।
(ii) चुनाव के आधार पर भिन्नता : कुछ भिन्नताऐं चुनाव के अधार पर होती हैं। जैसे कि कुछ लोग नास्तिक होते है। वह भगवान या किसी धर्म को नहीं मानते है। भिन्नता व्यवसाय के कारण भी हो सकती है। लोगों में भिन्नता आर्थिक क्रियाकलाप व व्यापार को लेकर भी हो सकती है।
(iii) धर्म के आधार पर विभिन्न्ता : धर्म भी सामाजिक विभिन्नता का कारण हो सकता है। एक धर्म को मानने वाले लोग खुद को एक ही समुदाय का सदस्य नहीं मानते क्योंकि उनकी जाति या उनका पंथ अलग होता है।
(iv) आर्धिक स्तर के आधार पर विभिन्नता :एक ही धर्म या जाति के अमीर व गरीब लोग आपस में घनिष्ठ संबंध नहीं रख पाते क्योंकि सभी अलग-अलग तरीके से सोचते है।
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