History, asked by vishal469261, 10 months ago

samajsastra ki paribhasa​

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Answered by sardarg41
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Answer:

समाजशास्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है | पहला लैटिन शब्द ‘Socius’ जिसका अर्थ है – समाज तथा दूसरा ग्रीक शब्द ‘Logos’ जिसका अर्थ है – अध्ययन या विज्ञान | इस प्रकार समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ समाज का विज्ञान है|

चूँकि समाजशास्त्र दो भाषाओं लैटिन एवं ग्रीक से मिलकर बना है ,इसलिए जॉन स्टुअर्ट मिल (J.S.Mill) ने समाजशास्त्र को दो भाषाओं की अवैध संतान कहा एवं इसके स्थान पर इथोलॉजी (Ethology)शब्द के प्रयोग का सुझाव दिया |

किंतु अधिकांश विद्वानों ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया, तत्पश्चात हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) ने समाज का व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध अध्ययन किया एवं अपनी किताब का नाम प्रिंसिपल ऑफ सोशियोलॉजी (Principles of Sociology) रखा| इसे समाजशास्त्र की प्रथम पाठ्य पुस्तक माना जाता है|

सन् 1838 में समाज का पूर्णता में अध्ययन करने के लिए काम्टे ने समाजशास्त्र शब्द का प्रयोग किया | काम्टे ने सर्वप्रथम इस नये विषय का नाम सोशल फिजिक्स(Social Physics) रखा था ,किंतु बेल्जियम के वैज्ञानिक क्वेटलेट ने अपने एक लेख – ऐन एसे ऑन सोशल फिजिक्स (An essay on Social Physics) में सोशल फिजिक्स शब्द का प्रयोग किया, ,इससे क्षुब्ध होकर काम्टे ने विषय का नाम बदलकर सोशियोलॉजी(Sociology) रख दिया |

Answered by ferozpurwale
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Answer:

समाजशास्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है | पहला लैटिन शब्द ‘Socius’ जिसका अर्थ है – समाज तथा दूसरा ग्रीक शब्द ‘Logos’ जिसका अर्थ है – अध्ययन या विज्ञान | इस प्रकार समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ समाज का विज्ञान है|

चूँकि समाजशास्त्र दो भाषाओं लैटिन एवं ग्रीक से मिलकर बना है ,इसलिए जॉन स्टुअर्ट मिल (J.S.Mill) ने समाजशास्त्र को दो भाषाओं की अवैध संतान कहा एवं इसके स्थान पर इथोलॉजी (Ethology)शब्द के प्रयोग का सुझाव दिया |

किंतु अधिकांश विद्वानों ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया, तत्पश्चात हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) ने समाज का व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध अध्ययन किया एवं अपनी किताब का नाम प्रिंसिपल ऑफ सोशियोलॉजी (Principles of Sociology) रखा| इसे समाजशास्त्र की प्रथम पाठ्य पुस्तक माना जाता है|

सन् 1838 में समाज का पूर्णता में अध्ययन करने के लिए काम्टे ने समाजशास्त्र शब्द का प्रयोग किया | काम्टे ने सर्वप्रथम इस नये विषय का नाम सोशल फिजिक्स(Social Physics) रखा था ,किंतु बेल्जियम के वैज्ञानिक क्वेटलेट ने अपने एक लेख – ऐन एसे ऑन सोशल फिजिक्स (An essay on Social Physics) में सोशल फिजिक्स शब्द का प्रयोग किया, ,इससे क्षुब्ध होकर काम्टे ने विषय का नाम बदलकर सोशियोलॉजी(Sociology) रख दिया |

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