Political Science, asked by TbiaSamishta, 1 year ago

samajwad ki Manyata ka varnan kare

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Answered by vivek991431
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वेकर कोकर के अनुसार - ‘‘समाजवाद वह नीति या सिध्दांत है जिसका उददेश्य एक लोकतांत्रिक केन्द्रीय सत्ता द्वारा प्रचलित व्यवस्था की अपेक्षा धन का श्रेष्ठ कर वितरण और उसके अधीन रहते हुए धन का श्रेृठतर उत्पादन करना है।’’

बर्नार्ड शॉ के अनुसार - ‘‘समाजवाद का अभिप्राय संपत्ति के सभी आधारभूत साधनो पर नियंत्रण से है। यह नियंत्रण समाजवाद के किसी एक वर्ग द्वारा न होकर स्वयं समाज के द्वारा होगा और धीरे धीरे व्यवस्थित ढंग से स्थापित किया जायेगा।’’

परिभाषा के अध्ययन से स्पष्ट है कि समाजवाद का ध्येय राज्य के समस्त नागरिको का कल्याण है। जिस प्रकार व्यक्तिवाद स्वतंत्रता पर आधारित है उसी प्रकार समाजवाद समानता आधारित है।व्यक्ति की अपेक्षा समाज को अधिक महत्व - समाजवाद व्यक्तिवाद के विपरीत विचार है जो व्यक्ति की अपेक्षा समाज को अधिक महतव देता है इस विचारधारा की मान्यता है कि समाज के माध्यम से ही व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास हो सकता है।

पूंजीवाद का विरोधी - समाजवाद पूंजीवाद का विरोधी है समाजवाद के अनुसार समाज में असमानता तथा अन्याय का कारण पूंजीवाद की विद्यमानता है। पूंजीवाद में उत्पादन का समान वितरण न होने के कारण संपत्ति पर पूंजीवाद का अधिकार होता है समाजवादियो के विचार में पूंजीपति व श्रमिको में सघंर्ष अनिवार्य है। अत: समाजवाद उत्पादन व वितरण के साधनो को पूंजीपति के हाथो से समाज को सौंपना चाहता है।

सहयोग पर आधारित - समाजवाद प्रतियोगिता का विरोध करता है और सहयोग में वृध्दि करने पर बल देता है राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करके अनावश्यक प्रतिस्पधार् को समाप्त किया जा सकता है।

आर्थिक समानता पर आधारित - समाजवाद सभी व्यक्तियो के लिये आर्थिक समानता प्रदान करने का पक्षपाती है। समाजवादी विचारको का मत है कि आर्थिक असमानता अधिकाश देशो का मूल कारण है।

उत्पादन तथा वितरण के साधनो पर राज्य का नियंत्रण - समाजवादी विचारको का मत है कि सम्पूर्ण देश की सम्पत्ति पर किसी व्यक्ति विशष का नियंत्रण न होकर सम्पूर्ण समाज का नियंत्रण होना चाहिए। उत्पादन तथा वितरण के साधन यदि राज्य के नियंत्रण में रहेंग े तो सभी व्यक्तियो की आवश्यक्ताए पूरी हो जायेंगी।

लोकतांत्रीय शासन में आस्था- समाजवादी विचारक राजय के लोकतंत्रीय स्वरूप में विश्वास रखते है। ये मताधिकार का विस्तार करके संसद को उसकी व्यवस्था चलाने के लिये एक महत्वपूर्ण साधन मानते है। इस व्यवस्था से व्यक्तियो को राजनीतिक सत्ता की प्राप्ति होती है।

Answered by Sidyandex
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"Samajawad", that is, Socialism, is based on a number of principles which makes it a very well suited plan for running the state.

It believes is promoting social and economic equality through the necessary distribution of resources, by promoting nationalist sentiments, by helping those who are backward to come forth and establish themselves.

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