Hindi, asked by jagdevkaler0506, 5 hours ago

समकालीन परिस्थितियों में महामारी से कैसे बचा जा सकता है अपने मित्र को पत्र लिखें । please tell me answer in hindi ​

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Answered by AarshiNair
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बीते कुछ महीनों से कोरोना की मार से जूझ रही पूरी दुनिया अगले छह महीने, एक साल या 10 साल में आज के मुक़ाबले कहां खड़ी होगी?

मैं रातों को जागता रहता हूं और सोचता रहता हूं कि मेरे अपनों का भविष्य क्या होगा. मेरे दोस्तों और रिश्तेदारों का क्या होगा?

मैं सोचता हूं कि मेरी नौकरी का क्या होगा. हालांकि, मैं उन भाग्यशाली लोगों में से हूं जिन्हें अच्छी 'सिक पे' मिलती है और जो ऑफिस से बाहर रहकर भी काम कर सकते हैं. मैं यह ब्रिटेन से लिख रहा हूं जहां मेरे कई सेल्फ-एम्प्लॉयड दोस्त हैं, जिन्हें कई महीनों तक पैसे मिलने की उम्मीद नहीं है. मेरे कई दोस्तों की नौकरियां छूट गई हैं.

जिस कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए मुझे मेरी 80 फ़ीसदी सैलरी मिलती है वह दिसंबर में ख़त्म हो गया. कोरोना वायरस ने इकॉनमी पर तगड़ी चोट की है. ऐसे में जब मुझे नौकरी की ज़रूरत होगी, क्या उस वक़्त कोई ऐसा होगा जो भर्तियां कर रहा होगा?

भविष्य को लेकर कई अनुमान हैं. लेकिन, ये सभी इस बात पर निर्भर करते हैं कि सरकारें और समाज कोरोना वायरस को कैसे संभालते हैं और इस महामारी का अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा. उम्मीद है कि हम इस संकट के दौर से एक ज़्यादा बेहतर, ज़्यादा मानवीय अर्थव्यवस्था बनकर उभरेंगे. लेकिन, अनुमान यह भी है कि हम कहीं अधिक बुरे हालात में भी जा सकते हैं.

मुझे लगता है कि हम अपनी स्थिति को समझ सकते हैं. साथ ही दूसरे संकटों को देखकर हम यह भी अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हमारा भविष्य कैसा होने वाला है.

मेरी रिसर्च का फ़ोकस आधुनिक अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स पर है. इसके केंद्र में ग्लोबल सप्लाई चेन, तनख़्वाह और उत्पादकता जैसी चीज़ें हैं.

मैं इन चीज़ों पर ग़ौर कर रहा हूं कि कैसे आर्थिक क्रियाकलाप क्लाइमेट चेंज और मज़दूरों के कमज़ोर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की वजह बनते हैं.

मैं यह बात ज़ोर देकर कहता रहा हूं कि अगर हम एक सामाजिक तौर पर न्यायोचित और एक बेहतर पर्यावरण वाला भविष्य चाहते हैं तो हमें अपने अर्थशास्त्र को बदलना होगा.

कोविड-19 के इस दौर में इससे ज़्यादा मौजूं कुछ भी नहीं हो सकता है.

कोरोना वायरस महामारी के रेस्पॉन्स दूसरे सामाजिक और पर्यावरणीय संकटों को लाने वाले जरियों का विस्तार ही है. यह एक तरह की वैल्यू के ऊपर दूसरे को प्राथमिकता देने से जुड़ा हुआ है. कोविड-19 से निपटने में ग्लोबल रेस्पॉन्स को तय करने में इसी डायनेमिक की बड़ी भूमिका है.

ऐसे में जैसे-जैसे वायरस को लेकर रेस्पॉन्स का विकास हो रहा है, उसे देखते हुए यह सोचना ज़रूरी है कि हमारा आर्थिक भविष्य क्या शक्ल लेगा?

एक आर्थिक नज़रिए से चार संभावित भविष्य हैं.

पहला, बर्बरता के दौर में चले जाएं. दूसरा, एक मज़बूत सरकारी कैपिटलिज़्म आए. तीसरा, एक चरम सरकारी समाजवाद आए. और चौथा, आपसी सहयोग पर आधारित एक बड़े समाज के तौर पर परिवर्तन दिखाई दे. इन चारों भविष्य के वर्जन भी संभव हैं.

Hope it helps you!

Answered by gs7729590
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Answer:" ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं, लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं। "

Answer:" ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं, लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं। ""अब, उनके लिए दूरदर्शन के माध्यम से स्वयंप्रभा जैसे कार्यक्रम वरदान साबित हो रहे हैं। मेरठ जैसे जिले में, जहां 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 हजार छात्र-छात्रएं पढ़ते हैं। उनमें से बहुत से छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप की सुविधा भी नहीं है। "

Answer:" ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं, लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं। ""अब, उनके लिए दूरदर्शन के माध्यम से स्वयंप्रभा जैसे कार्यक्रम वरदान साबित हो रहे हैं। मेरठ जैसे जिले में, जहां 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 हजार छात्र-छात्रएं पढ़ते हैं। उनमें से बहुत से छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप की सुविधा भी नहीं है। ""खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास तो इसका लगभग अभाव है ही। इससे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे थे। "

Answer:" ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो उन छात्रों के लिए अच्छी है जो साधन संपन्न हैं, लेकिन यूपी बोर्ड के छात्र इस लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई में साधनों को लेकर जूझते रहे हैं। ""अब, उनके लिए दूरदर्शन के माध्यम से स्वयंप्रभा जैसे कार्यक्रम वरदान साबित हो रहे हैं। मेरठ जैसे जिले में, जहां 10वीं और 12वीं कक्षा में 90 हजार छात्र-छात्रएं पढ़ते हैं। उनमें से बहुत से छात्रों के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप की सुविधा भी नहीं है। ""खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पास तो इसका लगभग अभाव है ही। इससे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रहे थे। ""उन्हें टीवी पर एक अच्छा विकल्प मिला है। अब जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, उस समय ऐसे प्लेटफार्म जरूरतमंद बच्चों के लिए एक शिक्षक की तरह मार्गदर्शन करते रहेंगे। ऐसी उम्मीद है।"

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