समन्वय की आवश्यकता प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर होती है इस कथन को उदाहरण सहित व्याख्या करो आजकल की महामारी को देखकर व्याख्या करो
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Explanation:
किसी संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसकी विभिन्न क्रियाओं में सांमजस्य व तालमेल स्थापित करना ‘समन्वय’ कहलाता है। यह प्रबन्ध का वह कार्य है जो किसी संस्था के विभिन्न विभागों, कर्मचारियों तथा उसके समूहों में इस प्रकार एकीकरण स्थापित करता है कि न्यूनतम लागत पर वाछिंत उद्देश्यों की पूर्ति में सहायता मिलती है।
‘समन्वय प्रबन्ध का सार है।’ सार किसी वस्तु की आन्तरिक प्रकृति अथवा उसके महत्वपूर्ण गुण का नाम है। समन्वय वह महत्वपूर्ण तत्व है जिससे प्रबन्ध प्रक्रिया का निर्माण होता है। यह नियोजन की अवस्था में ही प्रारम्भ हो जाता है तथा संगठन, निर्देशन, नियन्त्रण आदि सभी कार्यों के साथ चलता है। समन्वय से ही प्रबन्ध निम्न वांछित परिणाम उपलब्ध कर पाता है जैसे-
न्यूनतम लागत पर अधिकतम व श्रेष्ठ उत्पादन होना,
पारस्परिक हित संघर्षों को रोकना।
प्रबन्ध-प्रक्रिया को कुशल व प्रभावी बनाना।
निर्देशन में एकता स्थापित करना।
मानवीय सम्बन्धों को मधुर बनाना।
संस्था के साधनों, प्रयत्नों एवं उद्देश्यों में सन्तुलन स्थापित करना।
साधनों के दुरूपयोग को रोककर सद्पयोग में वृद्धि करना।
मानव शक्ति के मनोबल में वृद्धि करना।
संचार को प्रभावपूर्ण बनाना।
सामाजिक दायित्व के निर्वाह को सम्भव बनाना।