Hindi, asked by parulbanga0123, 5 hours ago

samanta keअधिकार pr nara lekhan​

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Answered by 20201112
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नारी समानता, भेदभाव रहित जीवन, जाति-धर्म विहीन समाज जैसी बड़ी-बड़ी बातों वाले हम जितना भी नारे गढ़ लें, पर हकीकत यही है कि हमारे देश में महिलाओं के साथ हर स्तर पर भेदभाव होता है. ऑक्सफैम इंडिया ने अपनी हालिया प्रकाशित रिपोर्ट ‘माइंड द गैप’ (भेदभाव को देखें) में कहा है कि पिछले दो दशक में रोजगार की गुणवत्ता में गिरावट आई है, अतिरिक्त रोजगार के सृजन में कमी आई है और विभिन्न क्षेत्रों में कामगारों का असमान वितरण हुआ है, जिसके चलते समाज में असमानता बढ़ी है. इसका सबसे बुरा असर महिलाओं पर पड़ा है जिसका परिणाम है कि महिलाओं को एक ही तरह के काम के लिए, एक ही तरह की योग्यता होने के बावजूद एक तिहाई (34 फीसदी) से कम धनराशि मिलती है. इतना ही नहीं, वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 92 फीसदी महिलाएं और 82 फीसदी पुरुषों की मासिक आमदनी दस हजार से कम है.

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