समर शेष है कविता में निहित कवि के उद्देश्य पर विचार कीजिए
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भाग्य आदि अंधविश्वासों से मानव का कल्याण नहीं होने वाला उसे तो कर्म पर विश्वास रखना चाहिए:--- "उद्यम से विधि का अंक उलट जाता है, किस्मत का पासा पौरूष से हार पलट जाता है। "समर शेष है" इसकी रचना कवि ने 1954 में की। इसमें उन्होंने समतामूलक समाज बनाने का आहवान किया है।Explanation:
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