समस्त ग्रंथों एवं ज्ञानी, अनुभवी जनों का कहना है कि जीवन एक कर्म क्षेत्र है |हमें कर्म के लिए जीवन मिला है| कठिनाइयाँ एवं दुःख और कष्ट हमारे शत्रु हैं, जिनका हमें सामना करना है और उनके विरुद्ध संघर्ष करके हमें विजयी बनना है | अंग्रेजी के यशस्वी नाटककार शेक्सपीयर ने ठीक ही कहा है कि “कायर अपनी मृत्यु से पूर्व अनेक बार मृत्यु का अनुभव कर चुके होते हैं, किंतु वीर एक से अधिक बार कभी नहीं मरते हैं। विश्व के प्राय: समस्त महापुरुषों के जीवन वृत्त, अमरीका के निर्माता जॉर्ज वाशिंगटन और राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन से लेकर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन चरित्र हमें यह शिक्षा देते हैं कि महानता का रहस्य संघर्षशीलता, अपराजेय व्यक्तित्व है इन महापुरुषों को जीवन में अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है परिश्रम, दृढ़ इच्छाशक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं | 1. मनुष्य के जीवन में सबसे जरूरी क्या है? (क) सुख (ख) जीवित रहना (ग) कर्म करना (घ) दुखों का सामना करना 2. महापुरुषों के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है? (क) कठिनाइयाँ और कष्ट हमारे शत्रु हैं। (ख) कायर मृत्यु से पहले ही अनेक बार मरते हैं। (ग) महानता का रहस्य संघर्षशीलता और अपराजेय व्यक्तित्व है। (घ) संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। 3. जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए किन गुणों की आवश्यकता होती है? (क) परिश्रम, दृढ़ इच्छाशक्ति व लगन (ख) संघर्ष की भावना (ग) वीरता और साहस (ग) दूसरों का साथ तथा सहारा 4. गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए | (क) जीवन एक कर्मक्षेत्र (ख) संघर्ष: सफलता का आधार (ग) महापुरुषों का जीवन (घ) विजयपथ 5. 'मानवीय' शब्द में मूलशब्द और प्रत्यय है- (क) मान + वीय (ख) मानव + ईय (ग) मानव + अइय (घ) मानवी + य
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1) कर्म करना
2)महानता का रहस्य संघर्षशीलता और अपराजेय व्यक्तित्व है।
3) परिश्रम, दृढ़ इच्छाशक्ति व लगन
4)सफलता का आधार
5)मानव + ईय
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- (ग) कर्म करना
- (ग) महानता का रहस्य संघर्षशीलता और अपराजेय व्यक्तित्व है।
- (क) परिश्रम, दृढ़ इच्छाशक्ति व लगन
- (क) जीवन एक कर्मक्षेत्र
- (ख) मानव + ईय
Explanation:
1)कर्म करना
- मनुष्य के जीवन में सबसे आवश्यक कार्य कर्म करना है।
- गीता में भी भगवान श्री कृष्ण कर्म पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं " कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। "मनुष्य को कर्म करते रहना चाहिए , कर्म फल की चिंता नहीं करनी चाहिए ।
- अगर मनुष्य कर्म फल की चिंता करेगा तो दुख का कारण बनेगा ।
- अध्यात्म की भाषा में इसे पुनर्जन्म का कारण भी कहा जा सकता है। भारतीय मनीषियों, बुद्धिजीवियों एवं विद्वानों ने कर्म को ही अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य माना है।
2)महानता का रहस्य संघर्ष शीलता और अपराजेय व्यक्तित्व है -
- पूरे संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं सभी का जीवन संघर्षमय रहा है, संघर्ष के बिना कोई भी सफल आदमी आगे नहीं बढ़ पाया है।
- भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो, या अमेरिका के निर्माता जॉर्ज वाशिंगटन या राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन या हमारे भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सभी लोगों ने अपने जीवन में संघर्ष किया है और संघर्ष के बल पर ही विजय को प्राप्त किया उनका व्यक्तित्व अजेय है।
- उन महापुरुषों ने जीवन में अनेक संकटों का सामना किया और संघर्ष पथ पर चलते रहें।
3)परिश्रम ,दृढ़ इच्छाशक्ति व लगन
- जीवन का कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल नहीं हो पाता कहा भी गया है बुद्ध में "उद्धमेण हि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथै:.....।
- अर्थात परिश्रम के बिना कोई भी मन का कार्य सिद्ध नहीं हो सकता। एक सिंह को भी अपने भोजन करने के लिए शिकार स्वयं करना पड़ता है। परिश्रम के साथ साथ अगर दृढ़ इच्छा शक्ति हो और कार्य के प्रति लगन हो, तो उस मनुष्य को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
4)जीवन एक कर्मक्षेत्र
- गीता के दूसरे अध्याय में कहा गया है "योग: कर्मसु कौशलम ।" अर्थात् कर्म करने पर सिर्फ तुम ध्यान दो ,तुम ऐसे समस्त योग से जुड़ जाओ, जिसमें पाप और पुण्य, किसी फलाफल का विचार नहीं हो।
5)मानव + ईय
- मानवीय शब्द में मूल शब्द मानव है और ईय प्रत्यय है।
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