समस्त सृष्टि के मूल में चेतना है ’’ चेतना में ज्ञान निहित है, स्पष्ट कीजिए
Answers
समस्त सृष्टि के मूल में चेतना निहित है। अर्थात जो भी संसार के नाम रूप प्रकट हैं, उन सभी का आधार विशुद्ध, केवल विशुद्ध चेतना है। इस बात को हम इस तरह समझते हैं...
भगवान कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता के दसवें अध्याय के 22वें श्लोक में कहा है कि समस्त प्राणियों की चेतना मेरा ही स्वरूप है, मैं ही जीवन शक्ति के रूप में सर्वत्र व्याप्त हूँ।
इस तरह चेतना की वृद्धि अथवा चेतना के विकास का अर्थ विशुद्ध चेतना होता है, जो नित्य है, निरंतर है, सनातन है, और सत्य है। कोई भी चेतना अपने विषय वस्तु से रहित नहीं हो सकती। वेद विज्ञान की दृष्टि से चेतना को चार भागों में बांटा जा सकता है... बैखरी की चेतना, मध्यमा की चेतना, पश्यन्ती की चेतना और परा की चेतना।
चेतना के भिन्न-भिन्न गुण होते हैं, जिसका जैसा गुण होता है, उसका वैसा ही नाम हो जाता है। ये सब चेतना के स्फुरण या स्पंदन है। चेतना स्वयं की सत्ता से अखंड है, अनंत है और चेतना देशकाल से परे है, कालातीत है। नित्य एक रस अखंड है।
सरल अर्थों में कहें तो समस्त क्रियाओं को संचालित करने वाली जो विशुद्ध सत्ता होती है, वही चेतना होती है यानी समस्त ब्रह्मांड को धारण करने वाली विशुद्ध सत्ता को ही चेतना कहते हैं और यही चेतना समस्त सृष्टि का सृजन, पालन एवं संवर्धन करती है।
≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡
संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼
भावातीत चेतना की विस्तृत मीमांसा कीजिए।
https://brainly.in/question/23816100
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○