samaveshi Vikas se aap kya samajhte hain
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bla be nayi com he thae thum
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जब विकास की प्रक्रिया में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), देश के सभी अंचल (भौगोलिक क्षेत्र) एवं समाज के सभी वर्ग (अमीर तथा गरीब, ग्रामीण तथा शहरी पुरुष-महिला, सभी जातियाँ एवं संप्रदाय) शामिल हों, तो ऐसा विकास समावेशी विकास कहलाता है।
भारत में विकास समावेशी है अथवा नहीं, इसे निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर समझा जा सकता है-
भारत में शहरी क्षेत्रों में शीर्ष (top) 10 प्रतिशत लोगों की ‘मासिक प्रतिव्यक्ति खर्च (MPCE)’ निम्न (bottom) 10 प्रतिशत लोगों के मासिक प्रतिव्यक्ति खर्च से 10 गुना से भी अधिक है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह आंँकड़ा 5 गुना से अधिक है। साथ-ही-साथ, यह आंँकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है।
भारत के शीर्ष 20 प्रतिशत लोगों की आय निम्नतम 20 प्रतिशत लोगों की आय से लगभग 10 गुना से अधिक है।
भातर की शीर्ष 1 प्रतिशत जनसंख्या के पास भारत की कुल संपत्ति का लगभग 53% है तथा शीर्ष 10% जनसंख्या के पास भारत की कुल संपत्ति का लगभग 76 प्रतिशत है।
भारत में कृषि क्षेत्र में लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या संलग्न है सेवा क्षेत्र का GDP में योगदान लगभग 55% है।