samay kaatne wale explanation by harishankar parsai
Answers
Explanation:
Harishankar Parsai
हरिशंकर परसाई
हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२४-१० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया। उनकी प्रमुख रचनाएं; कहानी–संग्रह: हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, भोलाराम का जीव; उपन्यास: रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ज्वाला और जल; संस्मरण: तिरछी रेखाएँ; लेख संग्रह: तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेइमानी की परत, अपनी अपनी बीमारी, प्रेमचन्द के फटे जूते, माटी कहे कुम्हार से, काग भगोड़ा, आवारा भीड़ के खतरे, ऐसा भी सोचा जाता है, वैष्णव की फिसलन, पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, उखड़े खंभे , सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम एक उम्र से वाकिफ हैं, बस की यात्रा; परसाई रचनावली (छह खण्डों में)। विकलांग श्रद्धा का दौर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
अपनी-अपनी बीमारी (पुस्तक)
वैष्णव की फिसलन (पुस्तक)
सदाचार का तावीज़ (पुस्तक)
प्रेमचन्द के फटे जूते (पुस्तक)
हरिशंकर परसाई हिन्दी व्यंग्य, कहानियाँ, संस्मरण
अकाल-उत्सव
अध्यक्ष महोदय (मिस्टर स्पीकर) (व्यंग्य)
अनुशासन (व्यंग्य)
अपना-पराया (लघुकथा)
अपनी अपनी बीमारी (व्यंग्य)
अपील का जादू (व्यंग्य)
अफसर कवि (व्यंग्य)
अयोध्या में खाता-बही (व्यंग्य)
अश्लील (व्यंग्य)
असहमत (व्यंग्य)
आध्यात्मिक पागलों का मिशन (व्यंग्य)
आवारा भीड़ के खतरे (व्यंग्य)
आँगन में बैंगन (निबंध)
इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर (व्यंग्य)
इस तरह गुजरा जन्मदिन (व्यंग्य)
ईश्वर की सरकार (व्यंग्य)
उखड़े खंभे (व्यंग्य)
एक अशुद्ध बेवकूफ (व्यंग्य)
एक और जन्म-दिन (व्यंग्य)
एक गौभक्त से भेंट (व्यंग्य)
एक मध्यमवर्गीय कुत्ता (व्यंग्य)
एक लड़की, पाँच दीवाने (व्यंग्य)
कंधे श्रवणकुमार के (व्यंग्य)
कबीर का स्मारक बनेगा (व्यंग्य)
क्रांतिकारी की कथा (व्यंग्य)
किस भारत भाग्य विधाता को पुकारें (व्यंग्य)
किस्सा मुहकमा तालीमात (व्यंग्य)
कैफियत (भूमिका): सदाचार का तावीज़
खेती (व्यंग्य)
ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड (व्यंग्य)
गॉड विलिंग (व्यंग्य)
गांधीजी की शॉल (व्यंग्य)
ग़ालिब के परसाई (व्यंग्य)
घायल वसंत (व्यंग्य)
घुटन के पन्द्रह मिनट (व्यंग्य)
चंदे का डर (लघुकथा)
चूहा और मैं (व्यंग्य)
जाति (व्यंग्य)
जैसे उनके दिन फिरे (व्यंग्य)
टार्च बेचनेवाले (व्यंग्य)
टेलिफोन (व्यंग्य)
ठिठुरता हुआ गणतंत्र (व्यंग्य)
तीसरे दर्जे के श्रद्धेय (व्यंग्य)
दवा (व्यंग्य)
दस दिन का अनशन (व्यंग्य)
दानी (लघुकथा)
दो नाक वाले लोग (व्यंग्य)
नया साल (व्यंग्य)
न्याय का दरवाज़ा (व्यंग्य)
निंदा रस (व्यंग्य)
Answer:
'समय काटने वाले' लेख 'हरिशंकर परसाई' द्वारा लिखा गया एक व्यंग्यपूर्ण लेख है, जिसमें उन्होंने समय का दुरुपयोग करने वाले लोगों पर व्यंग्य किया है। हरिशंकर परसाई को व्यंग्य लेखन का विशेषज्ञ माना जाता है। वे हिन्दी साहित्य के सबसे प्रसिद्ध व्यंग्य लेखक थे। हरिशंकर परसाई ने अपने व्यंग्य लेखों के माध्यम से सामाजिक बुराइयों पर व्यंग्य किया है।हरिशंकर परसाई ने कई कहानी संग्रह, संस्मरण, उपन्यास और निबंध लिखे।उनके प्रसिद्ध निबंध... भूत के पैरों के पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का युग, मुझसे शिकायत करना, पुण्य का ताबीज और अंत में, प्रेमचंद के फटे जूते, कुम्हार की मिट्टी, काग भगोड़ा आदि।उनके कहानी संग्रह...हसने हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, भोलाराम की जीवा, दो नाक वाले लोग, भेड़ और भेड़िये, ईमानदार के सम्मेलन में, आदि।उनके व्यंग्य संग्रह ... समय की बर्बादी, वैष्णववाद की फिसलन, शीत गणराज्य, विकलांग श्रद्धा का युग l
यह हिन्दी भाषा का प्रश्न है।
हिंदी भाषा के दो और प्रश्न:
1) https://brainly.in/question/4930531
2) https://brainly.in/question/12707257