samay kisi ki pratiksha nhi krta laghu katha likhiye
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समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। ... अतः हमें समय की गति और स्वभाव को पहचान कर एक-एक क्षण का मूल्य समझना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में भाग्योदय के क्षण आते हैं, जो उस समय का सदुपयोग कर लेता है वह जीवन में सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाता है।
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समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है,वह निकल जाता है हम में से अनेक लोग असहाय से देखते ही रह जाते हैं | कुछ ही लोग हैं जो अपने कर्मों से उसे पकड़ लेते हैं , समय जब हमारे साथ होता है ,तो लगता है की सभी कुछ हमारा हो गया है ,यहाँ तक की जमीन और आसमान भी, इसके साथ ही पीछे छूट गए लोगों में यह अफ़सोस गहरा हो जाता है ,की हम तो उनसे पिछड़ गए हैं | हम सोचते हें की हम समय के साथ क्यों नहीं चल पाए, इसे आदमी आलस्य की रस्सी बंधे, अपने भाग्य को कोसते ही रह जाते हैं | समझने की बात यह है की जो समय की
कद्र नहीं करता है वह समाप्त हो जाते हैं | यदि हम समय की कद्र करेंगे तो समय हमारी कद्र करेगा | बहुत से लोग अपना समय बेकार की बातों में ही बिता देते हैं, वे अक्सर इसी बहस करते हैं , जिनमे विचार के लिए कोई मुद्दा ही नहीं होता, बिना मुद्दे के बहस इसे होती है जेसे... ,सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम -लट्ठा... | समय आगे पीछे नहीं देखता है | मुड़कर देखना तो उसकी सत्ता में है ही नहीं |
हमारी अविकसित सोच ही विकास में बाधा उत्पन्न करती है | विकास की परिभाषा भी यही है कि समय के साथ कदम कदम मिलकर चला जाये, समय से पीछे छूटना पराजय है, तो समय से आगे निकलना भी खतरनाक है | जो कार्य समय से पहले किये जाते हैं या तो वे व्यर्थ जाते हैं या विनाश का कारन बन जाते हैं |
प्रक्रति में एक समय सारणी बनी हुई है , पवन का कार्य चलने है,पानी का काम बहना है, आग का काम जलना और जलाना है, आकाश का काम विस्तार और प्रथ्वी का काम अपनी धुरी पर घुमते रहना है | यदि इनमे से कोई अपना कार्य समय पर न करे तो , सभी कुछ अस्त-व्यस्त ही\ओ जायेगा |यही सित्थति तो प्रलय कहलाती है | .......जो वयक्ति, समाज, धर्म , भाषा , या देश , समय के साथ चलता है वही बना रह पाता है | इतिहास गवाह है जो स्वयम को समय के अनुरूप नहीं ढाल पाए वे धीरे धीरे समाप्त होते चले गये | काल के चक्र में गुम हो गये | वही वाद , सिद्धांत , समुदाय, सम्प्रदाय, संस्क्रति, और परम्परा बचे रह सके जो समय के साथ चलते रहे |
हर कार्य को समय की आवश्यकता होती है, ऐसा कोर्इ भी कार्य नहीं जो बिना समय लगे हो जाए. यदि आपको काम करना है तो उसके लिए समय आपको निकालना होगा, पर समय निकाल लेने पर वह कार्य होगा ही यह जरूरी नहीं. मान लीजिए किसी कार्य को करने के लिए घंटा लगता है और आपके पास एक घंटा है, काम आपको करना है, उसमें लगने वाली सारी सामग्री आपके पास उपलब्ध है, जो ज्ञान उस कार्य को करने के लिये आवश्यक है वह भी आपके पास है, फिर भी वह कार्य उतने समय में ही होने के लिए हमारा हर क्षण कीमती हो जाता है. कार्य को लगातार बिना रूके करना चाहिए अर्थात जैसा ज्ञान हमने पाया है वैसा ही करने से वह कार्य उतने समय में होगा, यदि यह विचार किया कि हमारा समय है और हमारी मर्जी है, चाहे तो करें और चाहे तो नहीं, तो काम नहीं होता. दूसरा ज्ञानसे विपरीत कार्य करने पर उसके बिगड़ने की संभावना रहती है, इसके साथ ही हर कार्य का समय भी निश्चित रहता है जो अपने आप ठीक नहीं रह सकता, उससे किसी दूसरे के लिए कुछ करने की आशा नहीं की जा सकती. जब अपने लिए काम करना शुरू करता है तो फिर अपना स्वयं का काम कुशलतासे कमसे कम समय में कमसे कम गलत करते हुऐ करने का अभ्यास करवाया जाता है. अपने कामसे जो महारथ हासिल हो जाती है, उसे परिवार के अन्य सदस्यों के कामों में मदद करने की सलाह दी जाती है, इसलिए दूसरे का काम कर के देने पर अतिरीक्त साधन जमा होने लगता है, जो की मनुष्य की समृध्दी का कारण बनते हैं.
समय, श्रम व पदार्थो की बचत करें – संसार में जितने भी काम किए जाते हैं उनके करने में समय लगता है. दूसरे शब्दों में कहें तो बिना समय लगे कुछ नहीं बन सकता. इस कारण बड़े कामों को जो चुटकी बजाते होने का दावा करते हैं उनके कथन की सत्यता को जांचना बहुत जरूरी हो जाता है. हर काम के लिए लगने वाला समय उस कार्य के करने की निपुणता, एकाग्रता, समय के प्रति सजगता तथा अभ्यास पर निर्भर करता है. कार्य को करने में निपुणता मनुष्य में तभी आती है जब वह कार्य को करने से पहले तो उसके बारे मे अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त कर लेता है, जितना अधिक ज्ञान होता है उतना ही कार्य को करने मे लगनेवाले पदार्थ, श्रम व समय की बचत होती है. श्रेष्ठ पदार्थो की पहचान बढ़ती है और अनावश्यक कार्य के स्थान पर केवल आवश्यक कार्य ही होते हैं. जैसा ज्ञान प्राप्त किया है उसके अनुसार कार्य करने का अभ्यास करना पड़ता है. कर्इ बार हम बहुतसे ऐसे कार्य करने की आदत डाल लेते हैं जिनके करने या न करने से हमारे कार्य पर कोर्इ असर नहीं पड़ता.
जीवन का हर क्षण अनमोल – जीवन का हर क्षण अनमोल है ‘‘खबर नहीं इस जग में पल की’’ इसलिए लोगों को चाहिये कि हर पल का सदुपयोग करें और यह भी संभव है जब ज्ञान प्राप्त किया जाये कबीरदासजी कहते हैं – संसार में अनेक प्रकारका ज्ञान है, जिससे भौतिक को जाना जा सकता है, पांच तत्व और तीन गुणो का संषोधन ज्ञान के आधार से किया जाता है, यह जितना जरूरी है उससे ज्यादा जरूरी वह ज्ञान है जिससे हम अपने आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त कर सकें.