Samay niyojan manushya ka sabse bada Dharm in Hindi essay
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मनुष्य के जीवन में ज्वार-भाटे जैसा उतार-चढ़ाव आता रहता है। जो मनुष्य ज्वार को पकड़ लेता है, वह सौभाग्य की ड्योढ़ी पर पहुंच जाता है। और जो चूक जाता है, वह भाटा के दलदल में फंस जाता है। जो व्यक्ति समय के मूल्य को पहचानते हैं, वे समय पर अपना काम करते हैं और सफलता हासिल कर लेते हैं। जो समय के महत्व को नहीं जानते या प्रमादवश अवसर का लाभ नहीं उठा पाते, समय उनके हाथ से निकल जाता है और चाहे-अनचाहे उन्हें असफलता स्वीकार करनी पड़ती है। कर्नल राहत ताश खेल रहे थे। नौकर ने वाशिंगटन की सेना संबंधी एक सूचना-पत्र लाकर उन्हें दिया। उन्होंने पत्र देखे बिना ही जेब में रख लिया और ताश खेलते रहे। खेल समाप्त होने पर सैनिकों से शत्रु-सेना का सामना करने के लिए तैयार होने को कहा, परंतु अवसर निकल चुका था। उन्हें शत्रु-सेना द्वारा घेर कर गिरफ्तार कर लिया गया और मौत के घाट उतार दिया गया। रस्किन ने कहा है, काल का एक भी घंटा ऐसा नहीं होता जो मानव के भाग्य-निर्माण के लिए उपयोगी न हो। एक घड़ी भी ऐसी नहीं होती, जिसके लिए निर्धारित कार्य को फिर से किया जा सके। लोहा ठंडा हो जाने पर उसे कितना ही पीटो, उससे कुछ भी नया नहीं बनता। एक आदमी वह सब कुछ कर सकता है, जो आज तक किसी ने नहीं किया, यदि वह समय के साथ चलता है। जिसने आज का काम कल पर छोड़ दिया, वह बहुत पीछे रह गया। वह कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकता। एक विद्यार्थी यह निश्चय करता है कि आज से मैं रात्रि में दो घंटे जरूर पढूंगा। जैसे ही पढ़ाई का समय हुआ, मन में विचार आया, अभी तो परीक्षा में बहुत दिन बाकी हैं, अभी ऐसी कौन-सी जल्दी है? कल से मैं नियमपूर्वक पढ़ना शुरू करूंगा। वह कल कभी नहीं आता। किसी ने कल को नहीं देखा। सच तो यह है कि कल है ही नहीं और हम उस के भ्रम में जी रहे हैं। उत्तराध्ययन सूत्र में बहुत रोचक तरीके से बताया गया है कि कौन व्यक्ति कह सकता है कि मैं धर्म का यह काम आज नहीं, कल कर लूंगा। कल पर छोड़ने का अधिकार तीन व्यक्तियों को दिया गया। पहला वह, जो यह कह सके कि मौत के साथ मेरी मित्रता है, जब वह आएगी तब कह दूंगा -मैं तो तुम्हारा सबसे प्रिय मित्र हूं, इसलिए मुझे नहीं, किसी और को ले जाओ। मौत मेरी बात का आदर करती हुई मुझे छोड़ देगी। दूसरा वह, जो अपने आप को दुनिया का सबसे बड़ा धावक मानता है और उसे पक्का विश्वास है कि जब मौत आएगी तब मैं इतनी तेज दौड़ जाऊंगा कि वह मुझे पकड़ ही नहीं सकेगी। तीसरा वह, जो यह मानता है कि मैं अमर हूं, मेरी मृत्यु कभी नहीं होगी। दुनिया के सब व्यक्ति मर सकते हैं पर मैं कभी नहीं मरूंगा। ये तीन व्यक्ति कल के भरोसे जी सकते हैं। आज का काम कल करने की सोच सकते हैं। परंतु वास्तविकता तो यह है कि अतीत में ऐसे व्यक्ति कभी हुए नहीं , वर्तमान में हैं नहीं और भविष्य में होंगे नहीं। ऐसी बात कोई विक्षिप्त दिमाग वाला व्यक्ति ही कह सकता है , स्वस्थ और सकारात्मक सोच वाला नहीं। महावीर ने गौतम से कहा , क्षण भर भी प्रमाद मत करो। समय के छोटे से छोटे खंड का भी जो सम्मान करना जानता है , वह अवश्य ही शिखर तक पहुंच सकता है। सौभाग्य का निर्माण करने के लिए जरूरी है दुर्भाग्य का निर्माण करने वाले प्रमाद से बचें। अति नींद एक प्रमाद है। विकथा और आलस्य प्रमाद है। हास्य - व्यंग्य , नशा करना , कषायों में जाना , ये सब प्रमाद हैं। आगम का वह सूक्त -' समयं गोयम ! मा पमायए ' गौतम के माध्यम से हम सबको प्रेरणा देता है कि क्षण भर भी प्रमाद मत करो। न जाने कब क्या घटित हो जाए ? व्यक्ति निरंतर जागरूक रहने का प्रयास करे। वह ऐसा काम करे जिससे भीतर की निर्मलता बढ़े , कषाय शांत रह सके , विचारों में पवित्रता आए। मानसिक प्रसन्नता बनी रहे। यदि अप्रमत्तता के साथ समय का सदुपयोग किया जाए तो ऐसा कोई सोपान नहीं , जहां तक पहुंचा न जा सके। हम समय का अंकन करना सीखें। हमारी दिनचर्या का क्त्रम समय नियोजन के साथ जुड़ा रहे। भगवान महावीर ने एक सूत्र दिया -' काले कालं समायरे ' अर्थात् जिस समय जो काम उचित हो , उस समय वही काम करना चाहिए। निर्धारित समय पर निर्धारित काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकता है। अपेक्षा है , व्यक्ति समय के मूल्य को पहचाने। संसार में एक कीमती तत्व है ' समय ' । दूसरी कीमती चीजें यदि खो जाए तो उन्हें दुबारा प्राप्त किया जा सकता है किन्तु समय एक ऐसी चीज है , जिसे खोने के बाद दुबारा कभी नहीं पाया जा सकता। जागरूकता , अप्रमत्तता के साथ समय का नियोजन करने वाला व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है और वह सफलता के उत्तुंग शिखर तक भी पहुंच सकता है। प्रस्तुति : ललित गर्ग.