समय का महत्व बताते हुए छोटे भाई को पत्र लिखे।
अपने छात्रावास की दिनचर्या का वर्णन करते हुए पिताजी को पत्र लिखे।
और
नए छात्रावास का वर्णन करते हुए माता को पत्र लिखे।
Answers
25 मई, 20.....
हाउस: 42
सड़क: 15
धारा: 11 उत्तरा 1230
प्रिय xyz
आज मैं इस पत्र को समय के मूल्य के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए लिख रहा हूं ताकि आप समय पर अपना काम पूरा कर सकें। यदि आप इतिहास के पन्नों को बदलते हैं तो यह आपको स्पष्ट होगा कि दुनिया के महान पुरुषों ने समय का सबसे अच्छा उपयोग किया अगर वे समय के मूल्य के बारे में सतर्क नहीं रहे, तो वे जीवन में महान नहीं हो सकें। इसलिए, यह उच्च समय है कि आपने अपने समय का सबसे अच्छा उपयोग किया।
यदि आप उन चीजों को बंद कर देते हैं जिन्हें आप आज कर सकते हैं, तो आप ऐसा करने में कभी सक्षम नहीं होंगे। कई खोई चीजें फिर से हासिल की जा सकती हैं, लेकिन एक बार खो जाने का समय हमेशा के लिए खो जाता है, इसे कभी भी वापस नहीं लिया जा सकता।
इसके अलावा, समय के मूल्य को मापा नहीं जा सकता। यह आपको ज्ञात है कि युवा को जीवन के बीज समय कहा जाता है। यदि आप युवाओं में अच्छे बीज बोते हैं, तो आप एक अच्छी फसल काटा सकेंगे। जो लोग अपने समय को निष्क्रिय करते हैं वे लंबे समय तक पीड़ित होते हैं। आज और नहीं मेरा मानना है कि आप समय के महत्व पर महत्व देंगे
तुम्हारी बहन
_____
Second Patra
छात्रावास।
दिनांक: ..................
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम!
बहुत दिनों से आपका पत्र नहीं आया है। अत: मैं स्वयं ही पत्र लिख रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आप सब वहाँ पर कुशलतापूर्वक होगें। पिताजी आगे का हाल-समाचार यह है कि यहाँ की दिनचर्या मुझे पसंद आने लगी है। आरंभ में भोर के समय उठ जाना और तैयार होना कठिन लगता था। परन्तु अब सब ठीक है। पिताजी मैं सुबह पांच बजे उठकर शौच आदि से निवृत्त हो जाता हूँ। व्यायाम करने के बाद तैयार होकर 7 बजे तक विद्यालय पहुँच जाता हूँ। विद्यालय में एक बजे तक पढ़ाई करता हूँ। विद्यालय समाप्त होने के बाद 2 बजे हम सारे बच्चे साथ में खाना खाते हैं। एक घंटे तक पढ़ाई करते हैं और फिर सोने चले जाते हैं। शाम के पांच बजे से लेकर 6.30 बजे तक खेलते हैं और 7 से 8.30 बजे तक टी.वी. देखते हैं। 9 बजे तक हम सब बच्चे सो जाते हैं। इस प्रकार की दिनचर्या में हमें कड़ा अनुशासन पालन करना होता है। थोड़ी चूक हमें सजा का पात्र बना सकती है। परन्तु अब में इसका आदी हो चूका हूँ। अब इसमें मुझे बहुत आनंद आता है। अपना सारा काम स्वयं करना होता है, जिसके कारण में ज़िम्मेदार बन गया हूँ।
अब पत्र समाप्त करता हूँ। घर में सबको मेरा प्रणाम और प्यार कहिएगा।
आपका पुत्र,
राज
Third Patra
छात्रावास ,
मॉडल टाउन , नई दिल्ली ।
दिनांक : ……
मेरा प्रिय दोसत राम।
प्रणाम ।
मैं कुशलपूर्वक हूँ । छात्रावास में अब मैं काफी सहज अनुभव कर रहा हूँ । यहाँ की नियमित एवं अनुशासनबद्ध दिनचर्या मुझे स्वस्थ एवं आनंदित करती है । प्रात -काल पाँच बजे से लेकर रात्रि दस बजे तक सभी छात्र व्यस्त रहते हैं । साढ़े पाँच बजे नियमित प्रार्थना होती है । इसके बाद योग प्रशिक्षक की देख-रेख में योगासन होता है । नाश्ते के बाद आठ बजे हम लोग विद्यालय जाते हैं । वहाँ से दो बजे लौटकर हम लोग भोजन करते हैं । तीन से पाँच बजे तक स्वाध्याय का समय होता है । फिर हम मनपसंद खेल खेलते हैं । शाम सात बजे से रात्रि साढ़े नौ तक अध्ययन , फिर भोजन और शयन । इस नियमित दिनचर्या के कारण मेरा स्वास्थ्य अच्छा रहता है । सहपाठी एक-दूसरे की मदद करते हैं । छात्रावास के अधीक्षक हमारी हर तरह स सहायता करते हैं ।
अब पत्र समाप्त करता हूँ ।
तेरा मित्र शाम
Third Patra me Mitra ke jagah Mata kar Dena...
Hope it helps
Mark the brianliest
Your second and third question are same