समय का सदुपयोग पर निबंध With Headings
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समय एक बार जाकर वापिस तो क्या आना, कभी वापिस मुडक़र देखा भी नहीं करता। वह तो लगातार बिना किसी की परवाह किए बस भागा ही जा रहा है। तभी तो समय को ऐसा अमूल्य धन माना गया है, जो एक बार खाने के बाद दुबारा कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता। अंग्रेजी के प्रसिद्ध नाटककार शैक्सपीयर ने अपने एक नाटक ‘जूलियस सीजर’ में कहा है कि एक एसा भी क्षण आया करता है, यदि उसे पहचान लिया जाए, तो व्यक्ति कुछ-का-कुछ हे जाया करता है? न पहचान सकने वाला व्यक्ति विश्व-विजेता बनने के स्पप्र देखने वाले सीजन के समान ही अपने ही साथियों के हाथों मारा जाता है। ऐसा अनोखा महत्व होता है समय का।
समय बीतने-बिताने का अर्थ जीवन व्यतीत करना भी है। एक सांस लेने के बहाने से हमारा यह अमूल्य समय यानी जीवन निरंतर बीता जा रहा है। बुद्धिमान लोग अपना कर्तव्य करते हुए इसके प्रत्येक पल-क्षण का सदुपयोग किया करते हैं, जबकि आलसी एंव मूर्ख व्यक्ति हाथ-पर-हाथ धरे आने वाले कल की योजना बनाने में ही समय एंव मूलधन को विनष्ट कर दिया करते हैं। समय तो धनुष से छूटने वाले उस अमूल्य बाण की तरह है कि लो एक बार छूटा कि गया। फिर लाख चाहने पर चेष्टा करने पर भी उसे किसी भी तरह खोज कर वापिस नहीं लाया जा सकता। बाद में उसे याद करके प्राय: व्यक्ति मन-ही-मन कहा करता है कि काश, मात्र एक बार मैं बीत चुके समय में पुन: जी सकता। परंतु ऐसा न तो कभी संभव हुआ और न ही हो सकता है। इस तथ्य का ध्यान रखना भी प्रत्येक व्यक्ति के लिए परम आवश्यक है कि एक-एक सांस व्यतीत होने का अर्थ है-जीवन का समय छिद्र वाले घड़े से टपकने वाले पानी के समान निरंतर कम होते जाने। यही सब सोचकर ही बुद्धिमान अध्यवसायी अपने समय का एक पल भी व्यर्थ नहीं जाने देते।
सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य ही है। उसे अपना समय प्रसंग में पड़, व्यर्थ के कामों में कभी भी व्यतीत नहीं करना चाहिए। व्यर्थ के कार्यों में पडक़र समय का एक पल भी गंवाना प्रलय को निमंत्रण देने के समान है। वही व्यक्ति वास्तव में समझदार है कि जो इन तथ्यों को देख-समझकर सारे कार्य किया करता है। दूसरी ओर जो व्यक्ति इन तथ्यों को देख-समझ नहीं पाते, वे बार-बार बल्कि हर पल में जन्मते और मरते रहते हैं। जब तक समय को पहचान कर्तव्य कर्म करके अपनी सारी इच्छांए पूरी नहीं कर लेते, तब तक उन्हें जन्म-मरण के चक्कर में पड़े रहना पड़ता है। चौरासी लाख योनियों में भटककर कष्ट सहने पड़ते हैं। इसी कारण कबीर जी ने समय का सदुपयोग करने की बात कही है। आज का काम कल पर न छोडऩे की प्रेरणा दी है। बिना समय का सदुपयोग कर काम पूरे किए मुक्ति नहीं हो सकती। इसलिए जो करना है, अभी शुरू कर दो।
समय पर आने सारे काम करते रहने वाला वयक्ति न तो कभी असफल हुआ करता है और न उसे पछताना ही पड़ता है। उसके मन-मस्तिष्क पर कभी किसी प्रकार का बोझ पडक़र उसे तनावग्रस्त नहीं बनाता। जब तनाव नहीं, तो कहीं किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं। स्वस्थ व्यक्ति का मन-मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है और इस प्रकार समय का सदुपयोग करने वाले को सारा जीवन आनंदमय हो जाया करता है।
मनुष्य को प्रकृति और उसके भिन्न रूपों-प्रकारों से सीखना चाहिए कि समय का क्या महत्व होता है। समय पर आकर अपना कर्तव्य पूरा करके तन-मन कितने प्रफुल्लित हो जाया करते हैं। सूर्य-चांद ठीक समय पर उदय-अस्त होकर ही अंधकार मिटाकर संसार के छोटे-बड़े हर प्राणी और पदार्थ को उचित विकास और विश्राम दे पाते हैं। छह ऋतुएं अपने समय से कभी रत्तीभर भी इधर-उधर नहीं होती। इस कारण वे धरती को हरी-भरी रख सभी प्राणियों की सब प्रकार की आवश्यकतांए पूरी कर पाती हैं। वसंत ऋतु आने पर ही कोयल कूकती है। सुबह होते ही चहचहाते पक्षी अपना जीवन सफल करने उड़ जाते हैं और शाम ढलने के साथ उसी स्वर-लय में चहचाहाते हुए अपने घोसलों में लौट आते हैं। उनके मन में अपने समय का सदुपयोग करने का आनंद ही होता है कि जो उन्हें चहचहाने गाने के लिए मजबूर कर दिया करता है। यही आनंद हर व्यक्ति अपने समय का सदुपयोग करके सरला से पाल सकता है।