समय का विभाजन पर आसान अनुच्छेद लेखन 50 से 100 वर्ण के
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ganpati bapa moriya
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संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जिसकी प्राप्ति मनुष्य के लिए असम्भव हो। प्रयत्न और पुरुषार्थ से सभी कुछ पाया जा सकता है लेकिन एक ऐसी भी चीज है जिसे एक बार खोने के बाद कभी नहीं पाया जा सकता और वह है समय। एक बार हाथ से निकला हुआ समय फिर कभी नहीं हाथ आता। कहावत में है “बीता हुआ समय और कहे हुए शब्द कभी वापिस नहीं बुलाए जा सकते।” समय परमात्मा से भी महान् है। भक्ति-साधना द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कई बार किया जा सकता है लेकिन गुजरा हुआ समय पुनः नहीं मिलता।
समय ही जीवन की परिभाषा है, क्योंकि समय से ही जीवन बनता है। समय का सदुपयोग करना जीवन का उपयोग करना है। समय का दुरुपयोग करना जीवन का नष्ट करना है। समय किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता। वह प्रतिक्षण मिनट घण्टे, दिन महीने वर्षों के रूप में, निरन्तर अज्ञात दिशा को जाकर विलीन होता रहता है। समय की अजस्र धारा निरन्तर प्रवाहित होती रहती है। और फिर शून्य में विलीन हो जाती है। फ्रैंकलिन ने कहा है- समय बरबाद मत करो क्योंकि समय से ही जीवन बना है।” निस्संदेह वक्त और सागर की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम समय का पूरा-पूरा सदुपयोग करें।
शेक्सपीयर ने कहा है “मैंने समय को नष्ट किया है अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।” सचमुच जो व्यक्ति अपना तनिक-सा भी समय व्यर्थ नष्ट करते हैं उन्हें समय अनेकों सफलताओं से वंचित कर देता है। नेपोलियन ने आस्ट्रेलिया को इसलिए हरा दिया कि वहाँ के सैनिकों ने पाँच ही मिनट का विलम्ब कर दिया उसका सामना करने में। लेकिन वही नेपोलियन कुछ ही मिनटों में बन्दी बना लिया गया क्योंकि उसका एक सेनापति कुछ ही मिनट विलम्ब से आया। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की पराजय इसी कारण से हुई । समय की उपेक्षा करने पर देखते-देखते विजय का पासा पराजय में पलट जाता है। लाभ हानि में बदल जाता है।
संसार में जितने भी महान पुरुष हुए हैं उनकी महानता का एक ही आधार स्तम्भ है कि उन्होंने अपने समय का पूरा- पूरा उपयोग किया। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने दिया। जिस समय लोग मनोरंजन खेल तमाशों में मशगूल रहते हैं, व्यर्थ आलस्य प्रमाद में पड़े रहते हैं, उस समय महान् व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्यों का सृजन करते रहते हैं। ऐसा एक भी महापुरुष नहीं जिसने अपने समय को व्यर्थ नष्ट किया हो और वह महान् बन गया हो। समय बहुत बड़ा धन है। भौतिक धन से भी अधिक मूल्यवान। जो इसे भली प्रकार उपयोग में लाता है वह सभी तरह के लाभ प्राप्त कर लेता है। वह छोटी-सी उम्र में ही दूसरों से बहुत आगे बढ़ जाता है।
समय जितना कीमती और फिर न मिलने वाला तत्व है उतना उसका महत्व प्रायः हम लोग नहीं समझते। हममें से बहुत से लोग अपने समय का बहुत ही दुरुपयोग करते हैं उसको व्यर्थ की बातों में नष्ट करते रहते हैं। आश्चर्य है समय ही ऐसा पदार्थ है जो एक निश्चित मात्रा में मनुष्य को मिलता है लेकिन उतना ही अधिक अपव्यय भी होता है। हममें से कितने लोग ऐसा सोचते हैं कि हमारा कितना समय आवश्यक और उपयोगी कार्यों में लगता है और कितना व्यर्थ के कामों में, सैर सपाटे, मित्रों से गपशप, खेल तमाशे, मनोरंजन, आलस्य, प्रमाद आदि में? हम कितना समय नष्ट करते हैं व्यर्थ की बकवास, अनावश्यक कार्यों में? हम कितना समय नष्ट करते हैं यदि इसका लेखा जोखा लें तो प्रतीत होगा कि अपने जीवन -धन का एक बहुत बड़ा भाग हम अपने आप ही व्यर्थ नष्ट कर डालते हैं समय के रूप में। काश एक - एक मिनट घण्टे, दिन का हम उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि हम जीवन में महान् सफलताएँ प्राप्त न करें।
समय की बरबादी का सबसे पहला शत्रु है किसी काम को आगे के लिए टाल देना। “आज नहीं कल करेंगे।” इस कल के बहाने हमारा बहुत- सा समय नष्ट हो जाता है। स्वेट मार्डेन ने लिखा है “इतिहास के पृष्ठों में फल की धार पर कितने प्रतिभावानों का गला कट गया। कितनों की योजनायें अधूरी रह गईं, कितनों के निश्चय बस यों ही रह गये, कितने पछताते हाथ मलते रह गये। कल असमर्थता और आलस्य का द्योतक है।”
इस कल से बचने के लिए ही महात्मा कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा है।
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होयगी बहुरि करेगा कब॥
समय ही जीवन की परिभाषा है, क्योंकि समय से ही जीवन बनता है। समय का सदुपयोग करना जीवन का उपयोग करना है। समय का दुरुपयोग करना जीवन का नष्ट करना है। समय किसी की भी प्रतीक्षा नहीं करता। वह प्रतिक्षण मिनट घण्टे, दिन महीने वर्षों के रूप में, निरन्तर अज्ञात दिशा को जाकर विलीन होता रहता है। समय की अजस्र धारा निरन्तर प्रवाहित होती रहती है। और फिर शून्य में विलीन हो जाती है। फ्रैंकलिन ने कहा है- समय बरबाद मत करो क्योंकि समय से ही जीवन बना है।” निस्संदेह वक्त और सागर की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम समय का पूरा-पूरा सदुपयोग करें।
शेक्सपीयर ने कहा है “मैंने समय को नष्ट किया है अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।” सचमुच जो व्यक्ति अपना तनिक-सा भी समय व्यर्थ नष्ट करते हैं उन्हें समय अनेकों सफलताओं से वंचित कर देता है। नेपोलियन ने आस्ट्रेलिया को इसलिए हरा दिया कि वहाँ के सैनिकों ने पाँच ही मिनट का विलम्ब कर दिया उसका सामना करने में। लेकिन वही नेपोलियन कुछ ही मिनटों में बन्दी बना लिया गया क्योंकि उसका एक सेनापति कुछ ही मिनट विलम्ब से आया। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की पराजय इसी कारण से हुई । समय की उपेक्षा करने पर देखते-देखते विजय का पासा पराजय में पलट जाता है। लाभ हानि में बदल जाता है।
संसार में जितने भी महान पुरुष हुए हैं उनकी महानता का एक ही आधार स्तम्भ है कि उन्होंने अपने समय का पूरा- पूरा उपयोग किया। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने दिया। जिस समय लोग मनोरंजन खेल तमाशों में मशगूल रहते हैं, व्यर्थ आलस्य प्रमाद में पड़े रहते हैं, उस समय महान् व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्यों का सृजन करते रहते हैं। ऐसा एक भी महापुरुष नहीं जिसने अपने समय को व्यर्थ नष्ट किया हो और वह महान् बन गया हो। समय बहुत बड़ा धन है। भौतिक धन से भी अधिक मूल्यवान। जो इसे भली प्रकार उपयोग में लाता है वह सभी तरह के लाभ प्राप्त कर लेता है। वह छोटी-सी उम्र में ही दूसरों से बहुत आगे बढ़ जाता है।
समय जितना कीमती और फिर न मिलने वाला तत्व है उतना उसका महत्व प्रायः हम लोग नहीं समझते। हममें से बहुत से लोग अपने समय का बहुत ही दुरुपयोग करते हैं उसको व्यर्थ की बातों में नष्ट करते रहते हैं। आश्चर्य है समय ही ऐसा पदार्थ है जो एक निश्चित मात्रा में मनुष्य को मिलता है लेकिन उतना ही अधिक अपव्यय भी होता है। हममें से कितने लोग ऐसा सोचते हैं कि हमारा कितना समय आवश्यक और उपयोगी कार्यों में लगता है और कितना व्यर्थ के कामों में, सैर सपाटे, मित्रों से गपशप, खेल तमाशे, मनोरंजन, आलस्य, प्रमाद आदि में? हम कितना समय नष्ट करते हैं व्यर्थ की बकवास, अनावश्यक कार्यों में? हम कितना समय नष्ट करते हैं यदि इसका लेखा जोखा लें तो प्रतीत होगा कि अपने जीवन -धन का एक बहुत बड़ा भाग हम अपने आप ही व्यर्थ नष्ट कर डालते हैं समय के रूप में। काश एक - एक मिनट घण्टे, दिन का हम उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि हम जीवन में महान् सफलताएँ प्राप्त न करें।
समय की बरबादी का सबसे पहला शत्रु है किसी काम को आगे के लिए टाल देना। “आज नहीं कल करेंगे।” इस कल के बहाने हमारा बहुत- सा समय नष्ट हो जाता है। स्वेट मार्डेन ने लिखा है “इतिहास के पृष्ठों में फल की धार पर कितने प्रतिभावानों का गला कट गया। कितनों की योजनायें अधूरी रह गईं, कितनों के निश्चय बस यों ही रह गये, कितने पछताते हाथ मलते रह गये। कल असमर्थता और आलस्य का द्योतक है।”
इस कल से बचने के लिए ही महात्मा कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा है।
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होयगी बहुरि करेगा कब॥
swastika91:
not essay plz edit your answer
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