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जबलपुर। नर्मटा तट से तीन सौ मीटर दूरी तक किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं है। बावजूद इसके नर्मदा तटों पर अवैध कब्जों की बाढ़ सी आ गई है। इन्हें हटाने में प्रशासनिक अमला नाकाम रहा है। मप्र हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा है कि अगर सरकार का यही रवैया रहा तो जल्द ही हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया जाएगा। यह आयोग नर्मदा तट के तीन सौ मीटर दायरे में हुए अवैध निर्माणों व अनियमितताओं की जांच करेगा।
चिन्हित किए, हटाए नहींजबलपुर के सतीश वर्मा ने यह अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि भेड़ाघाट में नर्मटा तट पर प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़ी संख्या में अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। इसके चलते नदी का प्राकृतिक इकोसिस्टम खराब हो रहा है। इसके पूर्व इसी मामले पर उनकी याचिका की सुनवाई के दौरान भेड़ाघाट नगर परिषद सीएमओ ने कोर्ट को बताया था कि नगर परिषद की सीमा में नर्मदा किनारे अतिक्रमण चिन्हित किए गए हैं। बड़ी संख्या में अतिक्रमणकारियों ने म्यूनिसिपल एक्ट का उल्लंघन कर और कृषि भूमि पर बिना समुचित डायवर्सन के निर्माण कर लिए हैं। कोर्ट ने इन्हें विधि अनुसार कार्रवाई कर हटाने को कहा था। अवमानना याचिका में कहा गया कि इसके बाद सीएमओ ने इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। ये आज भी जस के तस हैं और इनमें लगातार इजाफा हो रहा है। इस याचिका के साथ कांग्रेस नेता संजय यादव की उस याचिका की भी सुनवाई की गई, जिसमें पूरे जबलपुर जिले में नर्मदा नदी में हो रहे प्रदूषण व इसके प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण का मसला उठाया गया है।
खुले कोर्ट में कहाएक्टिंग चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व जस्टिस अंजुली पालो की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणों को गंभीरतापूर्वक लिया जाए। कोर्ट ने ताकीद करते हुए कहा कि अतिक्रमण नहीं हटाए गए तो कोर्ट इसके लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर तय करते हुए कोर्ट ने तब तक सरकार व भेड़ाघाट सीएमओ को अपना जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
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