Hindi, asked by prishucutee, 2 days ago

sambhaav par kavita in hindi​

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Answered by akritiverma956
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Answer:

सम्भव है सब कुछ

असम्भव कुछ भी नहीं

कर होसले बुलंद

दूर कुछ भी नही

सिन्धु को लांघ, सुमेरु को उलांघ

दम पे अपने पाताल को छान

कर बुलंद मन और बुलंद हो खुद

चलते जा बढते जा तू रोके से ना रुक

सम्भव है सब कुछ

असम्भव कुछ भी नहीं

हो होसले बुलंद तो

दूर कुछ भी नही

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