Sample Essay on the Radioin Hindi
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मनुष्य सदा से अपना मनोरंजन करता आया है । मन की शान्ति के लिए वह नई-नई खोज करता गया । नए-नए आविष्कार करने में वैज्ञानिकों को होड़ लग गई । मानव ने प्रकृति को अपने हाथ का खिलौना बना लिया । आज घर में बिजली से बनी प्रत्येक वस्तु वैज्ञानिक आविष्कार का चमत्कार है ।
रेडियो भी उन्हीं आविष्कारों में से एक है । इटली के मार्कोनी और भारत के जगदीशचन्द्र बसु, दोनों ने ही ध्वनि तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का प्रयास किया । मार्कोनी को 1901 में सफलता मिली जब उन्होंने एक समाचार इंग्लैण्ड से न्यूजीलैण्ड भेजा ।
जगदीश चन्द्र बसु ने 1859 में छोटे पैमाने पर यह प्रयास किया था । परतंत्र भारत उनकी इस खोज को कोई महत्वपूर्ण स्थान न दे पाया और वे इस वैज्ञानिक दौड़ में पीछे रह गए और मार्कोनी अमर हो गए । भारत का प्रथम रेडियो स्टेशन 1927 में स्थापित हुआ और आज हर प्रान्त में कई-कई रेडियों स्टेशन हैं । रेडियो की आवाज हम तक कैसे पहुँचती है ? इसकी एक प्रक्रिया है- पहले आकाशवाणी केन्द्र बिजली द्वारा ध्वनि को बिजली की लहरों में परिवर्तित कर देता है ।
फिर इन लहरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है । इन लहरों को रेडियो रिसीवर पकड़ लेते हैं और सुनने वाले रेडियों के बटन दबाकर मनचाहे कार्यक्रम सुन सकते हैं । रेडियो अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्य रूप से हम इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं- स्थानीय, अखिल भारतीय और विदेशों से सम्बन्धित ।
स्थानीय रेडियो पर केवल प्रान्त विशेष के कार्यक्रम, अखिल भारतीय रेडियो पर पूरे भारत के कार्यक्रम और विदेशी रेडियो से विदेशों के कार्यक्रम सुनने को मिलते हैं । रेडियों के अन्दर एक सुई होती है जिसे बटन की सहायता से इधर-उधर घुमाया जाता है । जिससे उस केन्द्र से सम्पर्क जुड़ जाता है और आवाज आने लगती है ।
रेडियो भी उन्हीं आविष्कारों में से एक है । इटली के मार्कोनी और भारत के जगदीशचन्द्र बसु, दोनों ने ही ध्वनि तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का प्रयास किया । मार्कोनी को 1901 में सफलता मिली जब उन्होंने एक समाचार इंग्लैण्ड से न्यूजीलैण्ड भेजा ।
जगदीश चन्द्र बसु ने 1859 में छोटे पैमाने पर यह प्रयास किया था । परतंत्र भारत उनकी इस खोज को कोई महत्वपूर्ण स्थान न दे पाया और वे इस वैज्ञानिक दौड़ में पीछे रह गए और मार्कोनी अमर हो गए । भारत का प्रथम रेडियो स्टेशन 1927 में स्थापित हुआ और आज हर प्रान्त में कई-कई रेडियों स्टेशन हैं । रेडियो की आवाज हम तक कैसे पहुँचती है ? इसकी एक प्रक्रिया है- पहले आकाशवाणी केन्द्र बिजली द्वारा ध्वनि को बिजली की लहरों में परिवर्तित कर देता है ।
फिर इन लहरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है । इन लहरों को रेडियो रिसीवर पकड़ लेते हैं और सुनने वाले रेडियों के बटन दबाकर मनचाहे कार्यक्रम सुन सकते हैं । रेडियो अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्य रूप से हम इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं- स्थानीय, अखिल भारतीय और विदेशों से सम्बन्धित ।
स्थानीय रेडियो पर केवल प्रान्त विशेष के कार्यक्रम, अखिल भारतीय रेडियो पर पूरे भारत के कार्यक्रम और विदेशी रेडियो से विदेशों के कार्यक्रम सुनने को मिलते हैं । रेडियों के अन्दर एक सुई होती है जिसे बटन की सहायता से इधर-उधर घुमाया जाता है । जिससे उस केन्द्र से सम्पर्क जुड़ जाता है और आवाज आने लगती है ।
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essay on radio
मनुष्य सदा से अपना मनोरंजन करता आया है । मन की शान्ति के लिए वह नई-नई खोज करता गया । नए-नए आविष्कार करने में वैज्ञानिकों को होड़ लग गई । मानव ने प्रकृति को अपने हाथ का खिलौना बना लिया । आज घर में बिजली से बनी प्रत्येक वस्तु वैज्ञानिक आविष्कार का चमत्कार है ।
रेडियो भी उन्हीं आविष्कारों में से एक है । इटली के मार्कोनी और भारत के जगदीशचन्द्र बसु, दोनों ने ही ध्वनि तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का प्रयास किया । मार्कोनी को 1901 में सफलता मिली जब उन्होंने एक समाचार इंग्लैण्ड से न्यूजीलैण्ड भेजा ।
जगदीश चन्द्र बसु ने 1859 में छोटे पैमाने पर यह प्रयास किया था । परतंत्र भारत उनकी इस खोज को कोई महत्वपूर्ण स्थान न दे पाया और वे इस वैज्ञानिक दौड़ में पीछे रह गए और मार्कोनी अमर हो गए । भारत का प्रथम रेडियो स्टेशन 1927 में स्थापित हुआ और आज हर प्रान्त में कई-कई रेडियों स्टेशन हैं । रेडियो की आवाज हम तक कैसे पहुँचती है ? इसकी एक प्रक्रिया है- पहले आकाशवाणी केन्द्र बिजली द्वारा ध्वनि को बिजली की लहरों में परिवर्तित कर देता है ।
फिर इन लहरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है । इन लहरों को रेडियो रिसीवर पकड़ लेते हैं और सुनने वाले रेडियों के बटन दबाकर मनचाहे कार्यक्रम सुन सकते हैं । रेडियो अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्य रूप से हम इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं- स्थानीय, अखिल भारतीय और विदेशों से सम्बन्धित ।
स्थानीय रेडियो पर केवल प्रान्त विशेष के कार्यक्रम, अखिल भारतीय रेडियो पर पूरे भारत के कार्यक्रम और विदेशी रेडियो से विदेशों के कार्यक्रम सुनने को मिलते हैं । रेडियों के अन्दर एक सुई होती है जिसे बटन की सहायता से इधर-उधर घुमाया जाता है । जिससे उस केन्द्र से सम्पर्क जुड़ जाता है और आवाज आने लगती है ।
रेडियो के अनेक लाभ हैं । घर बैठे देश ओर विदेश के ताजा समाचार मालूम हो जाते हैं । क्रिकेट इंग्लैण्ड में हो और आखों देखा हाल हिन्दी और अंग्रेजी में बारी-बारी से प्रस्तुत होता है । इसके अतिरिक्त पुराने नए फिल्मी गाने, कलाकारों से वार्तालाप, शास्त्रीय संगीत, नाटक, महत्वपूर्ण वार्ताएं, स्त्रियों के घरेलू कार्यक्रम, जिनमें उन्हें-खाना बनाने की विधियाँ, कपड़ों की देखभाल, घरेलू चिकित्सा के उपाय आदि के बारे में जानकारी दी जाती है ।
किसानों के कृषि से सम्बन्धित कार्यक्रम जिसमें उन्हें कौन सी फसल किस मौसम में बोनी चाहिए, फसल को कब बोना और काटना चाहिए, कब और कहाँ बेचना चाहिए आदि जानकारी मिलती है । इसके अतिरिक्त सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक परिस्थितियों की जानकारी, पर्वों पर विशेष कार्यक्रम, बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ आदि अनेक कार्यक्रम प्रसारित होते हैं:
रेडियो-जहाज, पुलिस, सेना के वाहनों आदि में लगा होता है । जिसके द्वारा वह अपना संदेश मुख्य कार्यालयों तक पहुँचाने हैं । हवाई जहाज यदि उड़ता हुआ किसी विपत्ति में फंस जाए जो रेडियों द्वारा ही कार्यालय में सूचित किया जाता है । रेडियों का एक रूप ट्रांजिस्टर भी है ।
जिसे लोग कानों पर लगाकर सुनते है । विशेष कर जब क्रिकेट मैच हो तब लोग कमेन्टरी सुनने के लिए उसका उपयोग करते हैं क्योंकि छोटा होने के कारण लोग उसे अपनी जेब, बैग या अटैची में रख लेते हैं । रेडियो क्षण भर में विश्व में घटित महत्वपूर्ण सूचनाएं हम तक तुरन्त पहुँचा देता है ।
व्यापारी वर्ग के विज्ञापन भी रेडियों से प्रसारित होते हैं । जिससे आकाशवाणी को अतिरिक्त आय होती है और व्यापारियों को ग्राहक मिल जाते हैं और ग्राहकों को अपनी पसन्द का सामान । मनोरंजन के इस साधन में कोई बुराई नहीं है । हर कला का दृष्टिकोण इस में समाहित है । मनोरंजन का यह साधन पहले भी लोकप्रिय था, आज भी लोकप्रिय है और भविष्य में भी रहेगा ।
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मनुष्य सदा से अपना मनोरंजन करता आया है । मन की शान्ति के लिए वह नई-नई खोज करता गया । नए-नए आविष्कार करने में वैज्ञानिकों को होड़ लग गई । मानव ने प्रकृति को अपने हाथ का खिलौना बना लिया । आज घर में बिजली से बनी प्रत्येक वस्तु वैज्ञानिक आविष्कार का चमत्कार है ।
रेडियो भी उन्हीं आविष्कारों में से एक है । इटली के मार्कोनी और भारत के जगदीशचन्द्र बसु, दोनों ने ही ध्वनि तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का प्रयास किया । मार्कोनी को 1901 में सफलता मिली जब उन्होंने एक समाचार इंग्लैण्ड से न्यूजीलैण्ड भेजा ।
जगदीश चन्द्र बसु ने 1859 में छोटे पैमाने पर यह प्रयास किया था । परतंत्र भारत उनकी इस खोज को कोई महत्वपूर्ण स्थान न दे पाया और वे इस वैज्ञानिक दौड़ में पीछे रह गए और मार्कोनी अमर हो गए । भारत का प्रथम रेडियो स्टेशन 1927 में स्थापित हुआ और आज हर प्रान्त में कई-कई रेडियों स्टेशन हैं । रेडियो की आवाज हम तक कैसे पहुँचती है ? इसकी एक प्रक्रिया है- पहले आकाशवाणी केन्द्र बिजली द्वारा ध्वनि को बिजली की लहरों में परिवर्तित कर देता है ।
फिर इन लहरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है । इन लहरों को रेडियो रिसीवर पकड़ लेते हैं और सुनने वाले रेडियों के बटन दबाकर मनचाहे कार्यक्रम सुन सकते हैं । रेडियो अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्य रूप से हम इन्हें तीन भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं- स्थानीय, अखिल भारतीय और विदेशों से सम्बन्धित ।
स्थानीय रेडियो पर केवल प्रान्त विशेष के कार्यक्रम, अखिल भारतीय रेडियो पर पूरे भारत के कार्यक्रम और विदेशी रेडियो से विदेशों के कार्यक्रम सुनने को मिलते हैं । रेडियों के अन्दर एक सुई होती है जिसे बटन की सहायता से इधर-उधर घुमाया जाता है । जिससे उस केन्द्र से सम्पर्क जुड़ जाता है और आवाज आने लगती है ।
रेडियो के अनेक लाभ हैं । घर बैठे देश ओर विदेश के ताजा समाचार मालूम हो जाते हैं । क्रिकेट इंग्लैण्ड में हो और आखों देखा हाल हिन्दी और अंग्रेजी में बारी-बारी से प्रस्तुत होता है । इसके अतिरिक्त पुराने नए फिल्मी गाने, कलाकारों से वार्तालाप, शास्त्रीय संगीत, नाटक, महत्वपूर्ण वार्ताएं, स्त्रियों के घरेलू कार्यक्रम, जिनमें उन्हें-खाना बनाने की विधियाँ, कपड़ों की देखभाल, घरेलू चिकित्सा के उपाय आदि के बारे में जानकारी दी जाती है ।
किसानों के कृषि से सम्बन्धित कार्यक्रम जिसमें उन्हें कौन सी फसल किस मौसम में बोनी चाहिए, फसल को कब बोना और काटना चाहिए, कब और कहाँ बेचना चाहिए आदि जानकारी मिलती है । इसके अतिरिक्त सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक परिस्थितियों की जानकारी, पर्वों पर विशेष कार्यक्रम, बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ आदि अनेक कार्यक्रम प्रसारित होते हैं:
रेडियो-जहाज, पुलिस, सेना के वाहनों आदि में लगा होता है । जिसके द्वारा वह अपना संदेश मुख्य कार्यालयों तक पहुँचाने हैं । हवाई जहाज यदि उड़ता हुआ किसी विपत्ति में फंस जाए जो रेडियों द्वारा ही कार्यालय में सूचित किया जाता है । रेडियों का एक रूप ट्रांजिस्टर भी है ।
जिसे लोग कानों पर लगाकर सुनते है । विशेष कर जब क्रिकेट मैच हो तब लोग कमेन्टरी सुनने के लिए उसका उपयोग करते हैं क्योंकि छोटा होने के कारण लोग उसे अपनी जेब, बैग या अटैची में रख लेते हैं । रेडियो क्षण भर में विश्व में घटित महत्वपूर्ण सूचनाएं हम तक तुरन्त पहुँचा देता है ।
व्यापारी वर्ग के विज्ञापन भी रेडियों से प्रसारित होते हैं । जिससे आकाशवाणी को अतिरिक्त आय होती है और व्यापारियों को ग्राहक मिल जाते हैं और ग्राहकों को अपनी पसन्द का सामान । मनोरंजन के इस साधन में कोई बुराई नहीं है । हर कला का दृष्टिकोण इस में समाहित है । मनोरंजन का यह साधन पहले भी लोकप्रिय था, आज भी लोकप्रिय है और भविष्य में भी रहेगा ।
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