Samudra ke kinare ek ghanta essay
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समुद्र किनारे की एक घंटा
समुद्र किनारे शाम बिताने का अलग मज़ा है | सबसे ज्यादा मज़ा तो तब आता है जब हम अकेले होते है और समुद्र की लहरों के साथ शांत वातावरण का मज़ा लेते है |
यह उस समय की बात जब मेरे जीवन में कुछ मुश्किलें चल रही थी , मन उदास सा रहने लग गया था | मुझे आज भी याद है वह शाम गोवा में बिताई हुई समुद्र के किनारे| मैं और समुद्र की लहरों के साथ बहुत मज़ा आ रहा था , जैसे और कोई नहीं हो | मन सको बहुत सुकून सा मिल रहा था जैसे कोई मुश्किल ना हो | मैंने आँखें बंद करके काफी समय तक उस शाम को समय बिताया और बहुत मज़ा आया |
खुली हवा में बैठकर डूबते सूरज का नज़ारा बहुत ही मनमोहक होता है और ऐसे नज़ारे लेने का समय आजकल सब के पास नहीं होता। डूबते सूरज को देखने का मज़ा और भी अलग है , जब आप समुद्र के किनारे बैठे हों।
कभी यह समय अपने लिए निकाल लेना ही चाहिए जिससे अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से थोड़ी शांति मिले। पता ही नहीं चलता एक घंटा कब बीत गया |