Samundar tat Ki Sair par 100 se 200 Tak ke Vichar
Answers
What you actually want to know?
hlo mate ⤵
the answer to ur question is ⤵
➡ गत् सप्ताह मैं क्न्याकुमारी के सागर-तट पर बैठा था। सागर-तट का दृश्य मुझे बहुत लुभा रहा था। समुद्र-तट पर कई छोटे जहाज खड़े थे। वे सभी का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। सायंकाल का समय था। सुरज डूबने को था। इससे पहले आसमान में लालिमा छा गई थी। डूबते सूरज का रंग क्षण-क्षण परिवर्तित हो रहा था। यह दृश्य मन को बड़ा ही अच्छा प्रतीत हो रहा था।
तभी सागर-तट पर कुछ मछुआरों की हलचल सुनाई पड़ी। सामने की ओर देखा तो मछलियों का अंबार लगा था। मछुआरे ठीक-ठीक मछलियों को छाँटकर एक ओर कर रहे थे। कुछ व्यापारी भी वहाँ खड़े थे। संभवतः वे उन मछलियों को खरीदने के लिए आए थे। मछलियों का मोल-भाव चल रहा था।
सैलानियों की भीड़ बढ़ती चली जा रही थी। नारियल-पानी, भेल-पूरी बेचनेवाले आ गए थे। कुछ बालक सीपियों को लेकर आ गए थे। सैलानी उनसे चीजें खरीद रहे थे। सागर-तट पर काफी रौनक हो चली थी।
सागर-तट पर बालू-रेत खूब चमक रही थी। बालू-कण अपनी श्यामल-श्वेत आभा बिखेर रहे थे। बालू-रेत पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ साँप की तरह प्रतीत हो रही थीं। इस रेत पर बैठना अत्यंत सुखद प्रतीत हो रहा था।
तभी किसी काॅलेज के युवक-युवतियों का एक दल आया। वे सभी मस्ती के मूड में थे। उनके हाथों में वाद्य यंत्र थे। वे खूब नाच-गा रहे थे। उनके आते ही सारा वातावरण रंगीन हो उठा, चारों ओर चहल-पहल दिखाई देने लगी। मेरे मन की निराशा दूर हो गई तथा मैं भी उनकी गतिविधियों में रूचि लेने लगा।
सागर-तट पर बैठे हुए मैं इतना तल्लीन हो गया कि समय का कुछ पता ही नहीं चला। साँझ का झुट-पुट घिर आया था, आकाश में तारे निकलने को थे। हवा में ठंडक थी, मन खुश था।
सागर-तट पर बैठने का अनुभव बड़ा ही अलग किस्म का होता है। यही प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। विशेषकर सांयकाल पानी पर डूबते सूरज का दृश्य अनोखी आभा दर्शाता प्रतीत होता है। समुद्र के जल मंे रंगों का क्षण-क्षण मंे परिवर्तन होता है, कभी श्वेतमा तो कभी डूबते सूरज की पीतिमा। सब कुछ मिलाकर सतरंगी इन्द्रधुनष की छटा बिखर जाती है। मैं यह सारा मनोहारी दृश्य अपनी आँखों में पी रहा था। मेरे ऊपर एक अजीब किस्म की मस्ती चढ़ी हुई थी मैं आनंद-सागर में गोते लगा रहा था।
सागर-तट पर बालू रेत फैली हुई थी। इसके कण रजत-कणों का भ्रम उत्पन्न करते थे। समुद्र में एक स्टीमर भी चल रहा था। वह सवारियों को इधर से उधर ले जा रहा था। कुछ मनचले युवक मस्ती के मूड में थे और खूब नाच-गा रहे थे।
सागर-तट पर पानी की लहरें खूब टकरा रहीं थी। उसकी तरंगें अपने अस्तित्व का उद्घोष करती जान पड़ रहीं थीं। सागर-तट पर सैलानियों की खूब चहल-पहल रहती है। खाने-पीने की चीजें भी यहाँ खूब बिकती हैं। मैंने भी सागर-तट पर भेल-पूरी खाने का आनंद लिया।