Hindi, asked by Sharanayaagarwal, 1 year ago

Samvad lekhan between two friends about their exam tension

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Answered by mchatterjee
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सोनल-- पुटुल तुम हर बार परिक्षा के पहले चिंता क्यों करती हो?

पुटुल-- मैं तुम्हारे जैसे नहीं पढ़ पाती हूं न इसलिए कान्फिडेंट नहीं ला पाती खुद के अंदर।

सोनल-- तुमको ऐसा क्यों लगता है कि मैं कान्फिडेंट हूं?ऐसा कुछ भी नहीं है मैं परिक्षा को साधारण ही समझती हूं।

पुटुल--मैं साधारण नहीं समझती क्यों कि मुझे एक अजीब सा डर सताता है। नींद नहीं आता ठीक से।

सोनल-- अरे!बाबा अभी भी परिक्षा को होने में ३माह बाकी है और तीन माह में अगर तुम एक दिन में एक शीर्षक को खत्म करोगी तो ९० दिन में ९० पाठ समझ आ जाएगा और तुम आसानी से परिक्षा की तैयारी कर पाओगे।

पुटुल--मेरे द्वारा क्या यह संभव है?

सोनल--मैं जहां तक तुमको जानती हूं तुम बहुत अलग हो जब मन में कुछ ठान लेती हो तो ज़रूर करती हो।

पुटुल--हान,वह तो है तो फिर में तुम्हारी यह तरकीब आजमा के देखती हूं।

सोनल--ज़रूर।बस डरो नहीं । मन में विश्वास रखो और प्रयास करो।
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