samvad lekhan related to swachhata
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महात्मा गाँधी ने कहा था- “भारत के प्रेम के बाद महत्व की दृष्टि से दूसरा स्थान स्वच्छता के प्रेम का ही है। जिस तरह हमारा मन मलिन हो तो हम भगवान का प्रेम सम्पादित नहीं कर सकते, उसी तरह हमारा शरीर मलिन हो तो भी हम उनका आशीर्वाद नहीं पा सकते। शहर या गाँव अस्वच्छ हो तो शरीर स्वच्छ रहना असम्भव है।” भारत ही नहीं, वरन् दुनिया भर में स्वच्छता एक बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा है। स्वच्छता आज मानव और दुनिया के अस्तित्व से जुड़ा सवाल बन गया है। वैचारिक गन्दगी या अस्वच्छता की बात छोड़ भी दें तो सिर्फ भौतिक गन्दगी या विभिन्न प्रकार के कचरे के कारण दुनिया परेशान है। इस गन्दगी के कारण वायु, पानी और मिट्टी तक प्रदूषित हो गए हैं। सरकारों के स्तर पर विभिन्न प्रकार के कचरे के प्रबन्धन, उपचार और निपटान की नीतियाँ और योजनाएं बनाई जा रही है। केन्द्र सरकार ने जहाँ स्वच्छ भारत अभियान की बात की है, वहीं मध्यप्रदेश शासन स्वच्छ मध्यप्रदेश की बात कर रहा है। स्वच्छता व्यक्ति के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही समाज और सरकार के लिए भी। जब तक व्यक्तिगत और समाज के विभिन्न घटकों के सहयोग से स्वच्छता के खिलाफ संघर्ष नहीं होगा, अकेले सरकार का इससे निपटना सम्भव नहीं है।