सन 1919 के भारत सरकार अधिनियम से स्थापित द्वैध शासन केंद्र की जगह प्रांतों में किस अधिनियम के तहत लागू किया गया
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The 1919 Montague-Chelmsford Reforms is the right response.
- The 1919 Montague-Chelmsford Reforms are the right response. The Government of India Act 1919 is another name for the Montague-Chelmsford Reforms of 1919.
- The Government of India Act (1919) established the double-government system of dyarchy, also spelled diarchy, for the British Indian provinces. It was the first time the democratic principle had been applied to the executive branch of the Indian government run by the British. Despite widespread criticism, it represented a turning point in British Indian administration and served as a prelude to India's complete provincial autonomy (1935) and independence (1947). Edwin Samuel Montagu, the secretary of state for India from 1917 to 1922, and Lord Chelmsford, the viceroy of India from 1916 to 1921, promoted dyarchy as a constitutional change.
Hence, the 1919 Montague-Chelmsford Reforms is the right response.
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#SPJ5
Answer: द्वैध शासन के भारत सरकार अधिनियम (गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट) द्वारा प्रांतीय सरकार को मजबूत बनाया गया और द्वैध शासन की स्थापना की गई। इसके पहले प्रांतीय सरकारों पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता था। लेकिन अब इस स्थिति में परिवर्तन लाकर प्रान्तीय सरकारों को उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया गया।
Explanation: जब दो शासक एक साथ सत्ता का संचालन करते है तो इसे द्वैध शासन (Diarchy) कहते है।
'द्वैध शासन' का सिद्धांत सबसे पहले लियोनेल कर्टिस नामक अंग्रेज ने अपनी पुस्तक "डायर्की" में प्रतिपादित किया था जो बहुत दिनों तक 'राउंड टेबिल' का सम्पादक रहा। बाद में यह सिद्धांत 1919 ई. के 'भारतीय शासन अधिनियम, 1919' में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रांतों में द्वैध शासन स्थापित हुआ।
उदाहरण के लिए, 1765 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भू-राजस्व वसूलने का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था जबकि प्रशासन बंगाल के नवाब के नाम से चलता था। अतः सत्ता के दो केंद्र थे। बंगाल में द्वेध शासन का जनक रोबर्ट क्लाइव को कहा जाता है।
919 ई. के भारत सरकार अधिनियम (गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट) द्वारा प्रांतीय सरकार को मजबूत बनाया गया और द्वैध शासन की स्थापना की गई। इसके पहले प्रांतीय सरकारों पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता था। लेकिन अब इस स्थिति में परिवर्तन लाकर प्रान्तीय सरकारों को उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया गया। कथित तौर पर इस द्वैध शासन का एकमात्र उद्देश्य था – भारतीयों को पूर्ण उत्तरदायी शासन के लिए प्रशासनिक शिक्षा देना। द्वैध शासन के प्रयोग ने भारत में एक नया ऐतिहासिक अध्याय प्रारंभ किया। असम, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बंबई, मध्य प्रांत, पंजाब, मद्रास, संयुक्त प्रांत और बर्मा में यह नयी व्यवस्था लागू की गयी।
इस अधिनियम द्वारा केंद्र एवं प्रांतों के बीच विषयों का बँटवारा किया गया और जो विषय भारत के हित में थे, उन्हें केंद्रीय सरकार के अधीन रखा गया। प्रतिरक्षा, यातायात, विदेश नीति, सीमा शुल्क, मुद्रा, सार्वजनिक ऋण इत्यादि को केंद्रीय विषय में सम्मिलित किया गया। स्थानीय स्वशासन सार्वजनिक, स्वास्थ्य, सफाई और शिक्षा, पुलिस, जेल तथा सहकारिता आदि को प्रांतीय विषय के अधीन रखा गया।
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#SPJ1