सन्त एव सतां नित्यमापदुद्धरणक्षमाः।गजानां पंकमग्नानां गजा एव धुरन्धराः।
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सज्जन ही सज्जनो की आपत्ति को सर्वदा दूर करने के योग्य होते हैं। जैसे कीचड़ में फंसे हाथियों को निकालने के लिए हाथी ही समर्थ होता है।
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