सनातन धर्म की मानव जीवन में क्या भूमिका है? 500ward me
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सनातन का अर्थ होता है, जो पृथ्वी या ब्रह्मांड के अस्तित्व के समय से ही अस्तित्व में हो। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित जीवन पद्धति को सनातन धर्म के नाम से जाना जाता था। यह धर्म जीवन जीने के तरीकों का ही संकलन है, जिसमें मानवीय मूल्यों को विशेष महत्व दिया गया है।
Explanation:
जोअपने धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है। पूरे विश्व में सनातन धर्म अनादिकाल से चला रहा है। इस धर्म की व्यापकता को कोई नाप नहीं सकता,इस धर्म में भगवान ने अवतार लेकर समय-समय पर धर्म की रक्षा की है। यह विचार गोवर्धन पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती स्वामी ने भगवंत विवि में सोमवार को आयोजित युवा समागम कार्यक्रम में व्यक्त किए।
उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज का युवा अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए चिंतित है, लेकिन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार एवं उसकी रक्षा के लिए उनकी भूमिका नगण्य है। सनातन धर्म में मानव मात्र के कल्याण की भावना छिपी है। वेद ज्ञान का अथाह सागर है। जिनका अध्ययन करना मनुष्य के बस की बात नहीं। वेदों का सार उपनिषद है उनका अध्ययन भी आसान नही।
उपनिषदों का सार गीता है, जिसे पढ़ना और समझना काफी आसान है। अगर हम अपना जीवन श्रीमदभागवत गीता के अनुसार ढाल लें, तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे हम सफल होंगे। शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म में माता-पिता, गुरु अतिथि सभी देव रूप माने गए हैं, माता प्रथम गुरु है। लार्ड मैकाले ने भारत की सनातन संस्कृति पर कुठाराघात करके पाश्चात्य शिक्षा पद्धति का प्रसार किया, जिसने युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट किया।
मैकाले ने को-एजुकेशन, कोर्ट, क्लब ने सनातन धर्म की पवित्रता को नष्ट किया। वेदों का बीज ओमकार है। शून्य का ज्ञान भी विश्व को भारत ने ही दिया, जो अपनी शिक्षा एवं ज्ञान का उपयोग मान प्रतिष्ठा के लिए करता है, वह महापापी है। हमें स्वयं को कभी विशेष नहीं मानना चाहिए। इससे पतन की शुरुआत होती है।भगवंत विश्वविद्यालय में वेदों पर आधारित संस्कृत शोध पीठ का शिलान्यास शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने किया। इस दौरान भगवंत ग्रुप के चेयरमैन डाॅ. अनिल सिंह, विहिप के आनंद प्रकाश गोयल, आरएसएस के के महानगर संघचालक सुनील दत्त जैन, केंद्रीय विश्वविद्यालय गया के प्रोफेसर एसएन सिंह, प्रो. आरके माथुर, डाॅ. राजीव कुमार सिंह, डॉ. रामेश्वरी चौधरी आदि मौजूद थे।
भगवंत यूनिवर्सिटी में शंकराचार्य का संदेश सुनने के लिए उपस्थित विद्यार्थी अतिथि।
युवा समागम कार्यक्रम में उद्बोधन देते जगद्गुुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती।