सन्दर्भ व्याख्या: 5m प्राण तुषातुर के रहे, धोरे हू जलपान।। पी जल भर सहस घट, डारे मिलतन प्राण।। 1. उपरोक्त दोहे सन्दर्भ के साथ व्याख्या कीजिये।
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भारतीय समाज में पुरुषार्थ के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी असंभव है।
पुरुषार्थ भारतीय दर्शन की एक अमूल्य तथा अनूठी देन है।
यह पुरुष तथा अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पुरुष से तात्पर्य मनुष्य अर्थात स्त्री अथवा पुरुष से है वही अर्थ का तात्पर्य के लिए है।
अर्थात जो कृत्य अथवा कार्य मनुष्य के जीवन को नियंत्रित अथवा सुव्यवस्थित करने के लिए है वही पुरुषार्थ है।
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