सन्धिविच्छेद कुरुत-
मानवा इव, भवन्तो नित्यम्, स्वोदरपूर्तिम्, हिसावृत्तिस्तु, आत्मोन्नतिम्, स्वल्पमपि
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samajh me nahi aarHa hai
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सन्धिविच्छेद कुरुत-
मानवा इव, भवन्तो नित्यम्, स्वोदरपूर्तिम्, हिसावृत्तिस्तु, आत्मोन्नतिम्, स्वल्पमपि
मानवा इव = मानवा:+इव
भवन्तो नित्यम् = भवन्त:+नित्यम्
स्वोदरपूर्तिम् = स्वोद:+अपूर्तिम्
हिसावृत्तिस्तु = हिंसावृत्ति:+तु
आत्मोन्नतिम् = आत्म+उन्नतिम्
स्वल्पमपि = स्वल्पम्+अपि
*सूत्र* - 'अक: सवर्णे दीर्घ:'- अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं।
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