Hindi, asked by kamnatiwari61, 1 month ago

सन्यास को समाज विरोधी कहने का क्या कारण है​

Answers

Answered by Anonymous
4

.अट्ठारहवीँ शती के अन्तिम वर्षों 1763-1800ई में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध तत्कालीन भारत के कुछ भागों में संन्यासियों (केना सरकार , द्विजनारायन) ने उग्र आन्दोलन किये थे जिसे इतिहास में संन्यासी विद्रोह कहा जाता है।यह आन्दोलन अधिकांशतः उस समय ब्रिटिश भारत के बंगाल और बिहार प्रान्त में हुआ था। 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी के पत्र व्यवहार में कई बार फकीरों और संन्यासियों के छापे का जिक्र हुआ है। यह छापा उत्तरी बंगाल में पड़ते थे। 1770 ईस्वी में पड़े बंगाल में भीषण अकाल के कारण हिंदू और मुस्लिम यहां वहां घूम कर अमीरों तथा सरकारी अधिकारियों के घरों एवं अन्न भंडार को लूट लिया करते थे। ये संन्यासी धार्मिक भिक्षुक थे पर मूलतः वह किसान थे, जिसकी जमीन छीन ली गई थी। किसानों की बढ़ती दिक्कतें, बढ़ती भू राजस्व, 1770 ईस्वी में पड़े अकाल के कारण छोटे-छोटे जमींदार, कर्मचारी, सेवानिवृत्त सैनिक और गांव के गरीब लोग इन संन्यासी दल में शामिल हो गए। यह बंगाल और बिहार में पांच से सात हजार लोगों का दल बनाकर घूमा करते थे और आक्रमण के लिए गोरिल्ला तकनीक अपनाते थे। आरंभ में यह लोग अमीर व्यक्तियों के अन्न भंडार को लूटा करते थे। 

Similar questions