Hindi, asked by jazz2424, 8 months ago

सन्यासी माधवदास कहाँ ?किस नदी किनारे रहते थे ?"उस परम प्रतापी योद्धा कोरण बीच लोग क्या कहते थे?"​

Answers

Answered by manahil9032
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Answer:मोंक्स ब्रुक हैम्पशायर के इंग्लिश काउंटी में एक नदी है। यह इटचेन नदी की एक सहायक नदी है, जो कि स्वेथलिंग में एक मध्ययुगीन सामन पूल में मिलती है। ब्रुक सात धाराओं से बनता है, जो चकली साउथ डाउन्स में उठती हैं, जिसमें मोंक्स ब्रूक के आधिकारिक स्रोत को बाल्टी के कॉर्नर के रूप में जाना जाता है] मोंक्स ब्रूक 49 वर्ग किलोमीटर (19 वर्ग मील) की मिट्टी को पकड़ता है। ब्रूक को एक मुख्य नदी नामित किया गया है, जिसका अर्थ है कि इसके प्रबंधन के लिए संचालन प्राधिकरण पर्यावरण एजेंसी है, न कि उन क्षेत्रों के लिए स्थानीय सरकारी प्राधिकरण जिनके द्वारा नदी चलती है।

भिक्षुओं ब्रूक सार्वजनिक घर

ब्रुक ने अपना नाम एक सार्वजनिक घर, ईस्टलेह शहर की एक गली, एक जूनियर फुटबॉल टीम और अन्य चीजों के बीच एक पेट्रोल स्टेशन दिया है।

2007 में, एक 250 मीटर (820 फीट) ब्रुक के लिए एक सहायक नदी का खिंचाव जो 1970 के दशक में एक गोल्फ कोर्स के लिए रास्ता बनाने के लिए बनाया गया था, £ 2.5 मिलियन सामुदायिक उत्थान परियोजना के भाग के रूप में दिखाया गया था।

Explanation:

Answered by bhatiamona
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सन्यासी माधवदास गोदावरी नदी के किनारे रहते थे।  

उस परम प्रतापी योद्धा को रण बीच लोग बंदा बहादुर कहते थे।।  

Explanation:

बंदा बहादुर एक प्रसिद्ध सिख शूरवीर थे, जो मुगलों के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले पहले सिख सेनानायक थे। उनका जन्म जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के राजौरी क्षेत्र में एक डोगरा राजपूत परिवार में हुआ। उनके बचपन का नाम लक्ष्मण दास था। उन्हें युद्ध कौशल से जुड़े कार्य करना बड़ा पसंद था और वह कुश्ती तथा शिकार में बड़े माहिर थे।

एक बार 15 वर्ष की आयु में उनके द्वारा एक गर्भवती हिरण की हत्या हो गई। जिसके कारण उन्हें इस घटना पर बड़ा पश्चाताप हुआ और वह सन्यासी बन गए, बैरागी बन गए। उनके गुरु जानकी दास ने उन्हें दीक्षा दी और उनका नाम माधव दास पड़ा। कुछ समय तक नासिक के पंचवटी क्षेत्र में भी रहे।

उसके बाद वह दक्षिण की ओर नांदेड की तरफ चले गए और वहां गोदावरी नदी के तट पर उन्होंने अपने आश्रम की स्थापना की और वही रहने लगे। जब नांदेड़ में गुरु गोविंद सिंह जी आए तो वह गुरु गोविंद सिंह जी से जुड़ गए और गुरु गोविंद सिंह जी ने उनका नाम बंदा बहादुर सिंह रखा इस तरह वह पूर्ण सिख बन गए।

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