sandhi
1.द्वयो + अपि-
2.द्वौ +अपि-
3.क: + अत्र-
4. अनभिज्ञ+अहम्-
5.इति + आत्मानम्-
Answers
Explanation:
1.द्व्योपी
2.द्वोपी
3.कस्त्र
4.अभिनद्ंयम
5.इत्यत्मानम
Answer:
(क) द्वयोः + अपि → द्वयोरपि
(ख) द्वौ + अपि → द्वावपि
(ग) क: + अत्र → कोऽत्र
(घ) अनभिज्ञः + अहम् → अनभिज्ञोऽहम्
(ङ) इति + आत्मानम् → इत्यात्मानम्
Explanation:
Step 1: सन्धि :दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है वह विकार ही सन्धि कही जाती है।
जब स्वर का स्वर के साथ मेल होता है तो स्वर संधि सन्धि, व्यंजन का स्वर से या व्यंजन से मेल होता है तो व्यंजन सन्धि तथा विसर्ग का स्वर अथवा व्यंजन से मेल होता तो विसर्ग सन्धि बनती है ।
Step 2: प्रस्तुत प्रश्न पाठ शिशुलालनम् (शिशु का दुलार) पाठ से लिया गया है। यह पाठ संस्कृतवाड़्मम के प्रसिद्ध नाटक 'कुन्दमाला' के पंचम अंक से संपादित करके लिया गया है। इसके रचयिता प्रसिद्ध नाटककार दिड्नाग हैं।
इस नाट्यांश में राम, कुश और लव को सिंहासन पर बैठाना चाहते हैं किंतु वे दोनों अतिशालीनतापूर्वक मना करते हैं। सिंहासनरूढ़ राम ,कुश और लव के सौंदर्य से आकृष्ट होकर उन्हें अपनी गोद में बैठा लेते हैं और आनंदित होते हैं। पाठ में शिशु स्नेह का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया गया है।
Step 3: दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है वह विकार ही सन्धि कही जाती है।
संस्कृत व्याकरण में संधि के तीन भेद होते हैं : स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि
स्वर संधि : जिसमें परस्पर मिलने वाले दोनों वर्ण स्वर हो।
व्यंजन संधि : जिसमें प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण दोनों व्यंजन होते हैं।
विसर्ग संधि: जिसमें प्रथम शब्द के अंत में विसर्ग रहे और वह बाद के शब्द के प्रथम अक्षर से मिल जाए।
द्वयोः + अपि → द्वयोरपि
द्वौ + अपि → द्वावपि
क: + अत्र → कोऽत्र
अनभिज्ञः + अहम् → अनभिज्ञोऽहम्
इति + आत्मानम् → इत्यात्मानम्
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