Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

sandhi in Sanskrit with its types and explanation.​

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सन्धिः सन्धि शब्द की व्युत्पत्ति – सम् उपसर्ग पूर्वक डुधाञ् (धा) धातु से “उपसर्गे धोः किः” सूत्र से ‘कि’ प्रत्यय करने पर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है।

सन्धि की परिभाषा – वर्ण सन्धान को सन्धि कहते हैं। अर्थात् दो वर्गों के परस्पर के मेल अथवा सन्धान को सन्धि कहा जाता है।

सन्धि के भेद – संस्कृत व्याकरण में सन्धि के तीन भेद होते हैं। वे इस प्रकार हैं –

1. स्वर सन्धि

2.व्यजन सन्धि

3.विसर्ग सन्धि

1. स्वर सन्धि – अच् संधि

जब दो स्वरों का सन्धान अथवा मेल होता है, तब वह सन्धान स्वर – सन्धि या अच् सन्धि कही जाती है। यहाँ अच् – सन्धि में स्वर के स्थान पर आदेश होता है। स्वर – सन्धियाँ आठ प्रकार की होती हैं। जैसे – अ + आ = आ - पुष्प + अवली = पुष्पावली

स्वर सन्धि मे सन्धियाँ 7 प्रकार की होती हैं-

1.यण – सन्धि

2.अयादि सन्धि

3.गुण – सन्धि

4.वृद्धि सन्धि

5.पूर्वरूप सन्धि

6.पररूप सन्धि

2. व्यजन सन्धि – हल् संधि

व्यंजन के साथ व्यंजन या स्वर का मेल होने से जो विकार होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं। व्यंजन सन्धि के प्रमुख नियम इस प्रकार हैं-

यदि स्पर्श व्यंजनों के प्रथम अक्षर अर्थात् क्, च्, ट्, त्, के आगे कोई स्वर अथवा किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ण अथवा य, र, ल, व आए तो क.च.ट. त. पके स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर अर्थात क के स्थान पर ग, च के स्थान पर ज, ट के स्थान पर ड, त के स्थान पर द और प के स्थान पर ‘ब’ हो जाता है जैसे- दिक् + अम्बर = दिगम्बर

व्यंजन संधि मे सन्धियाँ 6 प्रकार की होती हैं-

1.श्चत्व सन्धि

2.ष्टुत्व सन्धि

3.जश्त्व सन्धि

4.चर्व सन्धिः

5.अनुस्वार

6.परसवर्ण सन्धिः

3. विसर्ग सन्धि

जब विसर्ग के स्थान पर कोई भी परिवर्तन होता है, तब उसे विसर्ग – सन्धि कहा जाता है। विसर्गों का प्रयोग संस्कृत को छोड़कर संसार की किसी भी भाषा में नहीं होता है। हिन्दी में भी विसर्गों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है। कुछ इने-गिने विसर्गयुक्त शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं;

जैसे-

अत:, पुनः, प्रायः, शनैः शनैः आदि।

विसर्ग – संधि मे सन्धियाँ 4 प्रकार की होती हैं-

1.सत्व सन्धि

2.उत्व सन्धि

3.रुत्व सन्धि

4.लोप सन्धि

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