Hindi, asked by patilishwar474, 7 months ago

Sandhi kitne Prakar ki Hoti Hai vistar sahit likhiye​

Answers

Answered by adi2795
1

Answer:

5 ..... iseee age nahi sikha

Answered by manyata95
3

Answer:

संधि की परिभाषा

संधि का अर्थ होता है मेल या फिर मिलना। जब हम डो शब्दों को मिलाते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनी एवं दुसरे शब्द कि पहली ध्वनी मिलकर जो परिवर्तन लाती है, उसे ही संधि कहते हैं।

जब संधि किये गए दो शब्दों को हम अलग अलग करके लिखते हैं तो वह संधि विच्छेद कहलाता है।

संधि के कुछ उदाहरण

तथास्तु : तथा + अस्तु

इस उदाहरण में आ एवं अ मिलकर आ बन गए एवं अ का लोप हो गया।

पदोन्नति : पद + उन्नति

इस उदाहरण में अ एवं उ मिलकर ओ बन गए। उ का लोप हो गया।

सर्वोच्च : सर्व + उच्च

इस उदाहरण में भी अ एवं उ मिलकर ओ बन गए व उ का लोप हो गया।

चिरायु : चिर + आयु

ऊपर दिए गए उदाहरण में र एवं आ मिलकर रा बना देते हैं।

समानांतर : समान + अंतर

ऊपर दिए गए उदाहरण में न एवं अ ने मिलकर ना बना दिया है।

प्रत्येक : प्रति + एक

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं ति एवं ए ने मिलकर त्ये बना दिया।

संधि के भेद :

संधि के मुख्यतः तीन भेद होते हैं :

स्वर संधि

व्यंजन संधि

विसर्ग संधि

1. स्वर संधि

जब दो स्वर आपस में जुड़ते हैं या दो स्वरों के मिलने से उनमें जो परिवर्तन आता है, तो वह स्वर संधि कहलाती है। जैसे :

विद्यालय : विद्या + आलय

इस उदाहरण में आप देख सकते है कि जब दो स्वरों को मिलाया गया तो मुख्य शब्द में हमें अंतर देखने को मिला। दो आ मिले एवं उनमे से एक आ का लोप हो गया।

(स्वर संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – स्वर संधि : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण)

स्वर संधि के भेद:

दीर्घ संधि

गुण संधि

वृद्धि संधि

यण संधि

अयादि संधि

1. दीर्घ संधि

संधि करते समय अगर (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो ‘आ‘ बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ई‘ बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ ,ऊ) हो तो ‘ऊ‘ बनता है। जब ऐसा होता है तो हम इसे दीर्घ संधि कहते है।

(दीर्घ संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – दीर्घ संधि : उदाहरण एवं परिभाषा)

2. गुण संधि

जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ ,आ)के साथ (उ , ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।

(गुण संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – गुण संधि : उदाहरण एवं परिभाषा)

3. वृद्धि संधि

जब संधि करते समय जब अ , आ के साथ ए , ऐ हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब अ , आ के साथ ओ , औ हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं।

(वृद्धि संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – वृद्धि संधि : उदाहरण एवं परिभाषा)

4. यण संधि

जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है।

(यण संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – यण संधि : उदाहरण एवं परिभाषा)

5. अयादि संधि

जब संधि करते समय ए , ऐ , ओ , औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो (ए का अय), (ऐ का आय), (ओ का अव), (औ – आव) बन जाता है। यही अयादि संधि कहलाती है।

(अयादि संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – अयादि संधि : उदाहरण एवं परिभाषा)

2. व्यंजन संधि

जब संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन के मिलने से जो रूप में ओअरिवर्तन होता है, उसे ही व्यंजन संधि कहते हैं।

उदाहरण :

दिक् + अम्बर = दिगम्बर

अभी + सेक = अभिषेक

दिक् + गज = दिग्गज

जगत + ईश = जगदीश

(व्यंजन संधि के बारे में गहराई से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें – व्यंजन संधि : उदाहरण एवं परिभाषा)

3. विसर्ग संधि

जब संधि करते समय विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता है, हम उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

उदाहरण:

अंतः + करण : अन्तकरण

अंतः + गत : अंतर्गत

अंतः + ध्यान : अंतर्ध्यान

अंतः + राष्ट्रीय : अंतर्राष्ट्रीय

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