sandhi of sanchar and prakar
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परस्पर मिलने वाले वर्ण स्वर, व्यंजन और विसर्ग होते हैँ, अतः इनके आधार पर ही संधि तीन प्रकार की होती है– (1) स्वर संधि, (2) व्यंजन संधि, (3) विसर्ग संधि। (5) ओ वर्ग = ओ, औ। जब हृस्व इ, उ, ऋ या दीर्घ ई, ऊ, ॠ के बाद कोई असमान स्वर आये, तो इ, ई के स्थान पर 'य्' तथा उ, ऊ के स्थान पर 'व्' और ऋ, ॠ के स्थान पर 'र्' हो जाता है।
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