Hindi, asked by puneetsharma54299, 9 hours ago

sandrbh prasang bhavarth bhi likho

पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं, अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं द्वार दिखा दूंगा फिर उनको। हैं मेरे वे जहाँ अनंत अभी न होगा मेरा अंत।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

व्याख्या— कवि रातभर सोए और अलसाये , रहनेवाले प्रत्येक पुष्प नवयुवक नींदभरी आँखों से आलस्य को दूर करना चाहता है अर्थात कवि उनका आलस्य दूरकर उन्हें और जागरूक बनाना चाहता है। कवि उन पुष्पों को हरा-भरा बनाए रखने के लिए उन्हें अपने नवजीवन के अमृत से सींचना चाहता है।

Explanation:

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