Sangathan mein shakti par ek choti kahani
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संगठन में शक्ति है
एक था नंदनवन। उस जंगल का राजा चीता था। इसके कुछ दिनों पहले जंगल का राजा शेर था। लेकिन शेर के जाने के बाद चीता जंगल का राजा बन बैठा। इनका आतंक जंगल में चारों ओर फैला हुआ था। एक दिन जंगल में एक नन्हा चूहा आया तथा उसे जब उन जानवरों के दुख का पता चला तो उसने कहा कि - संगठन में शक्ति है और सभी से मिलकर चोरी-चोरी चीते को बिना बताए शेर की खोज करने को कहा।'
चूहे को जंगल का सबसे बुद्धिमान प्राणी मानकर जंगल के सभी जानवरों ने उसे मुखिया बनाया तथा उसके बताए अनुसार कई टोलियाँ बनाईं। टोलियों के मुखिया बंदर, बिल्ली, भालू, जिराफ आदि को बनाकर चारों ओर शेर की खोज में लगा दिया।
कई दिनों तक शेर का कोई पता नहीं चला। इधर चीते का आतंक और भी अधिक फैल रहा था तथा पूरे जंगल के सभी जानवर दुखी थे। अब वे शेर की खोज करते-करते थक गए थे। सभी एक पेड़ के नीचे बैठकर निर्णय ले रहे थे कि क्या करें? इतने में आसमान से एक बाज उड़ता हुआ आया और कहा कि 'यहाँ से 20 कोस दूर मैंने शेर के नन्हे बच्चों को मस्ती करते हुए देखा था, शायद शेर वहीं रहता हो।'
बाज की इन बातों से जंगल के जानवरों को कुछ आशा बँधी तथा सभी जानवर शेर को खोजने निकल पड़े। आगे-आगे बाज था एवं सभी उसके पीछे-पीछे चलने लगे। वहाँ जाकर सभी जानवरों ने शेर के बच्चों द्वारा शेर को बाहर बुलाया। शेर ने अपने घर पर अपने ही जंगल के सभी जानवरों को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। उसने आने का कारण पूछा, तो जानवरों ने अपनी व्यथा बताई। शेर को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने सभी जानवरों को आश्वासन दिया और कहा कि - 'मैं जल्दी ही उस चीते को सबक सिखाऊँगा और तुम्हें उसके आतंक से मुक्त कराऊँगा। सभी जानवर शेर की बात सुनकर प्रसन्न हो वापस अपने जंगल में आ गए। दूसरे दिन शेर उस जंगल में आया। चीते को इस बात का पता चला कि यहाँ शेर आया है, तो उसने शेर से लड़ाई करनी चाही।
शेर दयालु स्वभाव का था उसने चीते से कहा - कि 'इस जंगल के राजा बेशक तुम्हीं रहो लेकिन इन जानवरों पर इतना अत्याचार मत करो।'
इस बात को सुनकर चीते ने घमंड के साथ कहा कि - 'तुम कौन हो, मेरे काम में दखल देने वाले। मैं जो भी करूँगा अपनी मर्जी से करूँगा क्योंकि मैं इस जंगल का राजा हूँ।'
शेर ने कहा कि - 'यह कहावत बरसों पुरानी है कि 'जंगल का राजा शेर होता है' लेकिन फिर भी मैं तुम्हें इस जंगल का राजा बनाना चाहता हूँ।'
तो चीता तपाक से बोला - 'पहले के जानवर मूर्ख थे, अब ऐसा नहीं होगा, अब इस जंगल का राजा मैं हूँ अगर तुम यहाँ के राजा बनना चाहते हो तो मुझसे लड़ो और जो जीतेगा वही यहाँ का राजा बनेगा।
इस प्रकार शेर ने बहुत समझाया लेकिन चीता नहीं माना और आखिर दोनों लड़ने लगे। बहुत देर तक लड़ने के पश्चात शेर ने चीते को मार गिराया। मरते-मरते चीते ने कहा कि - जंगल का राजा शेर है।
इतना कहने के पश्चात उसने प्राण त्याग दिए और सभी ने शेर से आग्रह किया कि आप यहीं रहें और हमारे जंगल की ऐसे दुष्टों से रक्षा करें।
उनका आग्रह स्वीकार कर शेर अपने बच्चों और पत्नी सहित उस जंगल में रहने लगा। उसी रात जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर दावत दी और शेर को बुलाकर अनुरोध किया कि - 'आप अपने हाथों से बाज, नन्हा चूहा, बंदर, भालू, बिल्ली, जिराफ इन सभी जानवरों को पुरस्कार दें क्योंकि इन्हीं के नेतृत्व में हम यह कार्य कर पाए हैं।'
यह सुनकर शेर बोला - 'इस लड़ाई में इन्होंने तो योगदान दिया ही है, किंतु सबने भी चीते से छुपकर मेरी खोज की तथा चीते का आतंक सहा। बुरे कर्मों का फल बुरा होता है। तुम सभी के प्रयासों से ही मैं पुन: यहाँ आया हूँ और राजा बना हूँ अब सभी जानवर प्रसन्न हैं। कोई भी कार्य सभी को मिलकर करना चाहिए क्योंकि 'संगठन में शक्ति है।'
चूहे को जंगल का सबसे बुद्धिमान प्राणी मानकर जंगल के सभी जानवरों ने उसे मुखिया बनाया तथा उसके बताए अनुसार कई टोलियाँ बनाईं। टोलियों के मुखिया बंदर, बिल्ली, भालू, जिराफ आदि को बनाकर चारों ओर शेर की खोज में लगा दिया।
कई दिनों तक शेर का कोई पता नहीं चला। इधर चीते का आतंक और भी अधिक फैल रहा था तथा पूरे जंगल के सभी जानवर दुखी थे। अब वे शेर की खोज करते-करते थक गए थे। सभी एक पेड़ के नीचे बैठकर निर्णय ले रहे थे कि क्या करें? इतने में आसमान से एक बाज उड़ता हुआ आया और कहा कि 'यहाँ से 20 कोस दूर मैंने शेर के नन्हे बच्चों को मस्ती करते हुए देखा था, शायद शेर वहीं रहता हो।' बाज की इन बातों से जंगल के जानवरों को कुछ आशा बँधी तथा सभी जानवर शेर को खोजने निकल पड़े। आगे-आगे बाज था एवं सभी उसके पीछे-पीछे चलने लगे। वहाँ जाकर सभी जानवरों ने शेर के बच्चों द्वारा शेर को बाहर बुलाया। शेर ने अपने घर पर अपने ही जंगल के सभी जानवरों को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। उसने आने का कारण पूछा, तो जानवरों ने अपनी व्यथा बताई। शेर को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने सभी जानवरों को आश्वासन दिया और कहा कि - 'मैं जल्दी ही उस चीते को सबक सिखाऊँगा और तुम्हें उसके आतंक से मुक्त कराऊँगा। सभी जानवर शेर की बात सुनकर प्रसन्न हो वापस अपने जंगल में आ गए। दूसरे दिन शेर उस जंगल में आया। चीते को इस बात का पता चला कि यहाँ शेर आया है, तो उसने शेर से लड़ाई करनी चाही।
शेर दयालु स्वभाव का था उसने चीते से कहा - कि 'इस जंगल के राजा बेशक तुम्हीं रहो लेकिन इन जानवरों पर इतना अत्याचार मत करो।'
इस बात को सुनकर चीते ने घमंड के साथ कहा कि - 'तुम कौन हो, मेरे काम में दखल देने वाले। मैं जो भी करूँगा अपनी मर्जी से करूँगा क्योंकि मैं इस जंगल का राजा हूँ।'
शेर ने कहा कि - 'यह कहावत बरसों पुरानी है कि 'जंगल का राजा शेर होता है' लेकिन फिर भी मैं तुम्हें इस जंगल का राजा बनाना चाहता हूँ।' तो चीता तपाक से बोला - 'पहले के जानवर मूर्ख थे, अब ऐसा नहीं होगा, अब इस जंगल का राजा मैं हूँ अगर तुम यहाँ के राजा बनना चाहते हो तो मुझसे लड़ो और जो जीतेगा वही यहाँ का राजा बनेगा।
इस प्रकार शेर ने बहुत समझाया लेकिन चीता नहीं माना और आखिर दोनों लड़ने लगे। बहुत देर तक लड़ने के पश्चात शेर ने चीते को मार गिराया। मरते-मरते चीते ने कहा कि - जंगल का राजा शेर है।
इतना कहने के पश्चात उसने प्राण त्याग दिए और सभी ने शेर से आग्रह किया कि आप यहीं रहें और हमारे जंगल की ऐसे दुष्टों से रक्षा करें।
उनका आग्रह स्वीकार कर शेर अपने बच्चों और पत्नी सहित उस जंगल में रहने लगा। उसी रात जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर दावत दी और शेर को बुलाकर अनुरोध किया कि - 'आप अपने हाथों से बाज, नन्हा चूहा, बंदर, भालू, बिल्ली, जिराफ इन सभी जानवरों को पुरस्कार दें क्योंकि इन्हीं के नेतृत्व में हम यह कार्य कर पाए हैं।'
यह सुनकर शेर बोला - 'इस लड़ाई में इन्होंने तो योगदान दिया ही है, किंतु सबने भी चीते से छुपकर मेरी खोज की तथा चीते का आतंक सहा। बुरे कर्मों का फल बुरा होता है। तुम सभी के प्रयासों से ही मैं पुन: यहाँ आया हूँ और राजा बना हूँ अब सभी जानवर प्रसन्न हैं। कोई भी कार्य सभी को मिलकर करना चाहिए क्योंकि 'संगठन में शक्ति है।'