Hindi, asked by ayush9828163929, 1 year ago

Sangatkar ki awaz mein hichakka kyo pratit hoti hai

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Answered by varadp651
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संगतकार के माध्यम से कवि मंगलेश डबराल वैसे व्यक्तियों , कर्मचारियों , कलाकारों और सहायकों की ओर संकेत करना चाह रहे हैं जो नेपथ्य या पृष्ठ्भूमि में रहकर नि:स्वार्थ भाव से किसी व्यक्ति विशेष की सफलता में हाथ बँटाते हैं। ऐसे लोगों को किसी प्रकार की प्रसिद्धि का लोभ नहीं होता।

ayush9828163929: Not helpfull
Answered by johnnybravo2006
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कवि के अनुसार संगतकार मुख्य गायक का उसके गायन में साथ देता है परन्तु वह अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से अधिक ऊँचें स्वर में नहीं जाने देता। इस तरह वह मुख्य गायक की महत्ता को कम नहीं होने देता है। यही हिचक (संकोच) उसके गायन में झलक जाती है। वह कितना भी उत्तम हो परन्तु स्वयं को मुख्य गायक से कम ही रखता है। कवि के अनुसार यह उसकी असफलता का प्रमाण नहीं अपितु उसकी मनुष्यता का प्रमाण है। वह स्वयं को न आगे बढ़ाकर दूसरों को बढ़ने का मार्ग देता है। इसमें स्वार्थ का भाव निहित नहीं होता है। एक शिष्य का अपने गुरु के प्रति समपर्ण भाव है।

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