sanik ke prati abar 15 August ki badia paragraph in hindi
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शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा.. पं. जगदम्बा प्रसाद मिश्र की इस कविता से हमें देश की रक्षा की खातिर अपने जान देने वाले वीर सपूतों के महत्व को महसूस करना चाहिए। आजादी के बाद से अभी तक युद्ध के दौरान या फिर सीमा पर दुश्मनों की गोलीबारी का शिकार हुए सैनिकों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी याद में एक या दो दीये नहीं, बल्कि दीपावली के पूरे त्योहार को भी समर्पित कर दें तो कम है। सीमा पर विपरीत परिस्थितियों में भी जवान इसलिए दिनरात ड्यूटी देते हैं, ताकि हमारी आरामतलब जिंदगी में कोई खलल न पड़े। सैनिक ही नहीं, देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपनी मातृभूमि के सम्मान में हमेशा तत्पर रहे। कुछ परिस्थितियों के कारण कई बार लोग इसकी पूरी जिम्मेदारी सैनिकों के ऊपर ही थोप देते हैं। वर्तमान में इंटरनेट युग है। देश के अंदरूनी मामलों को फैलते देर नहीं लगती है। दुश्मन की नजरें नाजुक हालातों पर होती हैं और वह इसी का फायदा उठाते हैं, जिसका खामियाजा हमारे सैनिकों को उठाना पड़ता है। पिछले दिनों सीमा पर हुए घटनाक्रम ने कई परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे दिया है। किसी मां ने अपना बेटा खोया है तो किसी पत्नी का सुहाग ही उजड़ गया। कोई बहन भाई दूज पर उसका कभी न पूरा होने वाला इंतजार करेगी तो बच्चे अपने पापा की कमी को हमेशा महसूस करेंगे। दीपावली बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। सीमा पार दुश्मनों को निशाना बनाकर सैनिकों ने गर्व करने का मौका दिया है, लेकिन हृदय विदारक घटना ने जनमानस को झकझोर दिया है। संवेदनशील व्यक्ति पीड़ित परिजनों के अंधेरे त्योहार का दर्द महसूस कर सकता है। अब वो पल आ गया है, जब हमें अपने स्वार्थो को पीछे छोड़कर शहीद सैनिकों के परिजनों के साथ खड़ा होना चाहिए। प्रत्यक्ष तौर पर हम बहुत ज्यादा मदद भले ही न कर पाएं, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर समाज में देशसेवा की एक मुहिम तो शुरू कर ही सकते हैं। सभी लोग अपने परिजनों के साथ दीपावली की खुशियां मनाएंगे, लेकिन पीड़ित परिवार अपनों को खोने के गम में डूबे हैं। इसलिए हम एक दीया अपने शहीद सैनिकों की याद में जलाकर पीड़ित परिजनों के साथ खड़े होने का संदेश दे सकते हैं। आज एकजुट होना समय की मांग है। अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए किसी समय विशेष का इंतजार नहीं करना चाहिए। सीमा पर जाकर हम उनके साथ त्योहार नहीं मना पा रहे तो क्या हुआ, यहां रहकर उनके प्रति अपनी संवेदना और प्यार से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकते हैं। हमारी हिफाजत करने वालों के लिए हमारा भी फर्ज है कि उन्हें साथ होने का अहसास कराएं। एक दीया शहीदों के नाम इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है, ताकि सैनिक और देश के प्रति सम्मान को महसूस किया जा सके।
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Answer: अपने जीवन को कुर्बान कर देने वाले, पल-प्रति-पल मौत के साये में बैठे रहने वाले, अपने घर-परिवार से दूर नितांत निर्जन में कर्तव्य निर्वहन करने वाले जाँबाज़ सैनिकों के लिए बस चंद शब्द, चंद वाक्य, चंद फूल, दो-चार मालाएँ, दो-चार दीप और फिर उनकी शहादत को विस्मृत कर देना, उन सैनिकों को विस्मृत कर देना.
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