sansadhan ke bare me btao
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संसाधन शब्द का अभिप्राय साधारणतः मानव उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हैं। मनुष्य प्रकृति के अपने अनुरूप उपयोग के लिए तकनीकों का विकास करता है। प्राकृतिक तंत्र में किसी तकनीक का जनप्रिय प्रयोग उसे एक सभ्यता में परिणित करता है, यथा जीने का तरीका या जीवन निर्वाह। इस प्रकार यह सांस्कृतिक संसाधन की स्थिति प्राप्त करता है। संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है। इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से मनुष्य ने घरों, भवनों, परिवहन एवं संचार के साधनों, उद्योगों आदि के अपने संसार का निर्माण किया है। ये मानव निर्मित संसाधन प्राकृतिक संसाधनों के साथ काफी उपयोगी भी हैं और मानव के विकास के लिए आवश्यक भी।