Social Sciences, asked by sanjeev142005, 7 months ago

sansadhan kehlaane ke liye kin kin guno ki avashyakta hoti hai​

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Answered by skyfall63
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हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर चीज जो हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, बशर्ते, यह तकनीकी रूप से सुलभ, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य हो, जिसे  संसाधन कहा जा सकता है।

इसकी विशेषताएं इस प्रकार हैं:

(i) एक संसाधन एक स्रोत या आपूर्ति है जिससे लाभ उत्पन्न होता है।

(ii) आमतौर पर संसाधन सामग्री, धन, सेवाएँ, कर्मचारी या अन्य परिसंपत्तियाँ होती हैं जिन्हें लाभ उत्पन्न करने के लिए रूपांतरित किया जाता है और इस प्रक्रिया में उपभोग किया जा सकता है या उपलब्ध कराया जा सकता है।

Explanation:

  • जो कुछ भी हमारे लिए कुछ उपयोगिता रखता है उसे संसाधन कहते हैं। कुछ संसाधनों का आर्थिक मूल्य होता है, जबकि कुछ का नहीं। उदाहरण के लिए; दूध का आर्थिक मूल्य है, लेकिन एक सुंदर परिदृश्य का कोई आर्थिक मूल्य नहीं है। लेकिन दोनों महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दोनों कुछ मानवीय जरूरतों को पूरा करते हैं। समय और तकनीक दो महत्वपूर्ण कारक हैं जो किसी पदार्थ को संसाधनों में बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए; इससे पहले कि लोग इसका इस्तेमाल करना सीखें पेट्रोलियम एक संसाधन नहीं था।
  • संसाधन विशेषताएँ: संसाधनों की तीन मुख्य विशेषताएँ होती हैं (i) उपयोगिता, (ii) सीमित उपलब्धता, (iii) कमी या खपत के लिए संभावित। कमी मानव की मूलभूत आर्थिक समस्या है जो सीमित संसाधनों की दुनिया में असीमित इच्छाएं और आवश्यकताएं रखता है।

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Answered by Anonymous
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Answer:

संसाधन कहलाने के लिए ये गुण आवश्यक है

Explanation:

हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु संसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कर सकते हैं, जिसे बनाने के लिये हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है।

संसाधन दो प्रकार के होते है जैव संसाधन और अजैव संसाधन

वैसे संसाधन जैव संसाधन कहलाते हैं जो जैव मंडल से मिलते हैं। उदाहरण: मनुष्य, वनस्पति, मछलियाँ, प्राणिजात, पशुधन, आदि।

वैसे संसाधन अजैव संसाधन कहलाते है जो निर्जीव पदार्थों से मिलते हैं। उदाहरण: मिट्टी, हवा, पानी, धातु, पत्थर, आदि।

कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिन्हें हम भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा नवीकृत या पुन: उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे संसाधन को नवीकरण योग्य संसाधन कहते हैं। उदाहरण: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल, जीव जंतु, आदि।

कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जिन्हें हम किसी भी तरीके से नवीकृत या पुन: उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। ऐसे संसाधन को अनीवकरण योग्य संसाधन कहते हैं। उदाहरण: जीवाष्म ईंधन, धातु, आदि।

वैसे संसाधन अंतर्राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं जिनका नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इसे समझने के लिये समुद्री क्षेत्र का उदाहरण लेते हैं। किसी भी देश की तट रेखा से 200 किमी तक के समुद्री क्षेत्र पर ही उस देश का नियंत्रण होता है। उसके आगे के समुद्री क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय संसाधन की श्रेणी में आता है।

किसी भी देश या क्षेत्र में कुछ ऐसे संसाधन होते हैं जिनका उपयोग वर्तमान में नहीं हो रहा होता है। इन्हें संभावी संसाधन कहते हैं। उदाहरण: गुजरात और राजस्थान में उपलब्ध सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा।

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