sansadno ka mahatav ka vran kejeya in hindi
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संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है।
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★संसाधन का अर्थ
मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा उनकी किसी कठिनाई का निवारण करने वाले या निवारण मे योग देने वाले आश्रय या स्त्रोत को संसाधन कहते है। दुसरे शब्दों मे, कोई वस्तु या तत्व तभी संसाधन कहलाता है जब उससे मनुष्य की किसी आवश्यकता की पूर्ति होती है, जैसे जल एक संसाधन है क्योंकि इससे मनुष्यों व अन्य जीवों की प्यास बुझती हैं, खेतो मे फसलों की सिंचाई होती है और यह स्वच्छता प्रदान करने, भोजन बानने और भी आदि मानव की बहुत सी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इसी प्रकार वे सभी प्रदार्थ जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायतक होते है उन्हें संसाधन कहा जाता है।
★संसाधनो का महत्व
संसाधन मानव जीवन को सरल व सुखद बनाते हैं, संसाधनों के बिना हम जीवन की कल्पना भी नही कर सकते। आदिकाल मे मनुष्य पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर था। धीरे-धीरे मनुष्य ने अपनी बुद्धि-कौशल से प्रकृति के तत्वों का अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक उपयोग किया। आज संसार के वे देश अधिक उन्नत व सम्पन्न माने जाते है जिनके पास अधिक संसाधन है। आज संसाधन की उपलब्धता हमारी प्रगति का सूचक बन गया है। इसीलिए संसाधनों का हमारे जीवन मे बड़ा महत्व है।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रकृति का कोई भी तत्व तभी संसाधन कहलाएगा जब वह किसी मानवीय आवश्यकता की पूर्ति में सहायक हो। किसी वस्तु या पदार्थ को संसाधन बनाना मनुष्य के हाथ में है। मनुष्य अपनी बुद्धि, कौशल तकनीकी ज्ञान से प्राकृतिक तत्वों को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपयोगी एवं मूल्यवान बना लेता है। इस प्रक्रिया से प्राकृतिक तत्व संसाधन बन जाते हैं। संक्षेप मे हम कह सकते है कि प्राकृतिक साधन संसाधन तब बनते है जब मनुष्य अपने बुद्धि, कौशल तथा तकनीकी ज्ञान से उन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रूपान्तरण कर और अधिक उपयोग एवं मूल्यवान बना लेता है। सामान्यतः संसाधन प्राकृतिक होते है। मेकनाल के अनुसार 1. प्राकृतिक संसाधन वे है जो प्रकृति के द्वारा प्रदान किए जाते है तथा मानव के लिए उपयोगी है।