Hindi, asked by mahendrayadav2508198, 10 months ago

Sansar ko Swapnil Roop Kyon Kaha gaya hai​

Answers

Answered by BAAZ7466
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♡HEY DEAR *----*

YOUR ANSWER IS :-

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Kabir ji ne Sansar ko Swan* Roop kahi kr is liye pukara kyun ki yah sansad ek kutte ke sman hai.

Kabir ji ne Sansar ko Swan* Roop kahi kr is liye pukara kyun ki yah sansad ek kutte ke sman hai. jab bhi hum koi achcha kaam krna chahte hai to log usme badha utpann krne lgte hai . waise hi kutte bhi

Kabir ji ne Sansar ko Swan* Roop kahi kr is liye pukara kyun ki yah sansad ek kutte ke sman hai. jab bhi hum koi achcha kaam krna chahte hai to log usme badha utpann krne lgte hai . waise hi kutte bhilogon k raste mai badha utpann krte hain.

Kabir ji ne Sansar ko Swan* Roop kahi kr is liye pukara kyun ki yah sansad ek kutte ke sman hai. jab bhi hum koi achcha kaam krna chahte hai to log usme badha utpann krne lgte hai . waise hi kutte bhilogon k raste mai badha utpann krte hain. Kabir ji kahte hai ki kahte hai ki sansad k log kbhi sach ko sahan nhi kr pate hain or n aus paelr us par wishwash krte hain. Unhe juth par wishwash ho jata hai. ISLIYE KABIR JI NE SANSAR KO (SWAN*) yaani kutto ki trh kaha gya hai.

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SAWAPNIL SANSAR

दुख दर्दों को दूर भगाए लाए नव उत्कर्ष? शाश्वत खुशियों का प्रतीक हो 2019 का वर्ष । श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है कि जब महाभारत युद्ध शुरू होने से पूर्व अर्जुन ने बंधु-बांधवों को देखकर अपना गाण्डीव रख दिया और भगवान कृष्ण से कहने लगे कि स्वजनों का वध करने में इस युद्ध को जीतना नहीं चाहता। भगवान कृष्ण ने समझाया और अपना विराट रूप भी दिखाया। भगवान कृष्ण ने कहा जिन्हें तुम मारने की बात कह रहे हो, वे तो पहले ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं। अर्जुन ने अपने सखा का यह रूप देखा तो उन्हंे लगा कि अज्ञानता में बड़ा अपराध कर चुके हैं। उन्हांेने कहा-सखेति मत्वा प्रसमं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति अज्ञानता महिमानं तवेदं मया प्रमादा त्प्रणयेन वापि यच्चा वहासार्थमसत्कृतेऽसि बिहार शय्यासन भोजनेषु एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षमाये त्वामहमप्रमेयम् हे भगवान मैं तो आपको समझ ही नहीं पाया। इसलिए अज्ञानता में, असावधानी से कभी आपको यादव, कभी सखा और कभी कृष्ण कहकर पुकार बैठा, इस सबके लिए मैं क्षमा चाहता हूं।

दुख दर्दों को दूर भगाए लाए नव उत्कर्ष? शाश्वत खुशियों का प्रतीक हो 2019 का वर्ष । श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है कि जब महाभारत युद्ध शुरू होने से पूर्व अर्जुन ने बंधु-बांधवों को देखकर अपना गाण्डीव रख दिया और भगवान कृष्ण से कहने लगे कि स्वजनों का वध करने में इस युद्ध को जीतना नहीं चाहता। भगवान कृष्ण ने समझाया और अपना विराट रूप भी दिखाया। भगवान कृष्ण ने कहा जिन्हें तुम मारने की बात कह रहे हो, वे तो पहले ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं। अर्जुन ने अपने सखा का यह रूप देखा तो उन्हंे लगा कि अज्ञानता में बड़ा अपराध कर चुके हैं। उन्हांेने कहा-सखेति मत्वा प्रसमं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति अज्ञानता महिमानं तवेदं मया प्रमादा त्प्रणयेन वापि यच्चा वहासार्थमसत्कृतेऽसि बिहार शय्यासन भोजनेषु एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षमाये त्वामहमप्रमेयम् हे भगवान मैं तो आपको समझ ही नहीं पाया। इसलिए अज्ञानता में, असावधानी से कभी आपको यादव, कभी सखा और कभी कृष्ण कहकर पुकार बैठा, इस सबके लिए मैं क्षमा चाहता हूं।आज, जब आने वाले वर्ष 2019 का स्वागत कर रहा हूं तो बीते वर्ष 2018 को विदाई देते हुए अर्जुन का यह प्रसंग इसलिए याद आ रहा कि विभिन्न विषयों पर लिखते समय ज्यादातर राजनेताओं पर ही कलम चली है। उनके बारे में जाने-अनजाने यदि कुछ अप्रिय भी लिख दिया हो तो इसके लिए उनसे क्षमा चाहता हूं क्योंकि आने वाले वर्ष में भी उन पर मेरी कलम चलेगी। सबसे पहले हम उन्हीं से यह अपेक्षा भी करते हैं कि देश में राजनीति का माहौल अच्छा रखेंगे। साल के अंत में चुनावों के समय नेताओं को जिस तरह छिछली भाषा में बोलते देखा है, उससे बहुत तकलीफ हुई थी। अब नये वर्ष में राजनीति का बहुत ही सुन्दर रूप देखने को मिलेगा, यही ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं।

MARK ME AS BRAINLIEST♡

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