Sanskar aur bhavana saransh 200 words
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विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित “संस्कार और भावना” एकांकी में भारतीय हिंदू परिवार के पुराने संस्कारों से जकड़ी हुई रूढ़िवादिता तथा आधुनिक परिवेश में पले बड़े बच्चों के बीच संघर्ष की चेतना को चित्रित किया गया है।
अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। किसी ने इस विवाह का समर्थन नहीं किया। अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया। माँ अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।
एक बार जब माँ को पता चला कि अविनाश को प्राणघातक हैजे की बीमारी हुई थी और बहू ने अपने पति अविनाश को प्राण देकर बचा लिया। अब वह खुद बीमार है परंतु अविनाश में उसे बचाने की ताकत नहीं है। जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू को कुछ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा। तब पुत्र-प्रेम की मानवीय भावना का प्रबल प्रवाह रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों के जर्जर होते बाँध को तोड़ देता है। माँ अपने बेटे और बहू को अपनाने का निश्चय करती है।