Hindi, asked by MdSakir, 1 year ago

sanskar aur bhavna ka uddeshya kya hai detail me batao

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Answered by prakashanand1
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विष्णु प्रभाकर द्‌वारा रचित "संस्कार और भावना" एकांकी में परम्परागत संस्कार और मानवीय भावनाओं के बीच के द्‌वंद्‌व को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। एकांकीकार ने प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से मानव मन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। एक भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की माँ अपने पुराने संस्कारों से बद्‌ध है। यह परिवार परम्पराओं से चली आ रही रूढ़िवादी संस्कारों को ढो रही है और उसकी रक्षा करना अपना परम कर्त्तव्य समझ रही है। इसी कारण माँ अपने बड़े बेटे अविनाश के अंतर्जातीय विवाह को स्वीकार नहीं करती है। अविनाश ने एक बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह किया और अपनी पत्नी के साथ घर से अलग रहने लगा है। माँ अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।
जब माँ को अविनाश की बीमारी, उसकी पत्नी द्‌वारा की गई सेवा और उसकी जानलेवा बीमारी की सूचना मिलती है तब पुत्र-प्रेम की मानवीय भावना का प्रबल प्रवाह रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों के जर्जर होते बाँध को तोड़ देता है। माँ अपने बेटे और बहू को अपनाने का निश्चय करती है।
Answered by SaakshiNB
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Answer:

इस एकांकी का उद्देश्य रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों पर आधुनिक विचारों की विजय दर्शाना है । इस एकांकी द्वारा हमें यह सन्देश प्राप्त होता है कि व्यक्ति के मन में उत्पन्न होनेवाली मानवीय भावनाओं के सम्मुख संस्कारों और रूढ़ियों का टिके रहना अत्यंत कठिन है । ऐसे में व्यक्ति का मन संस्कारों और रूढ़ियों  दासता से मुक्त होकर निर्मल और कोमल रूप धारण कर लेता है । इस एकांकी का उद्देश्य रहा है कि नयी तथा पुरानी पीढ़ी के विचारों में विभिन्नता तथा संघर्ष दर्शाया जाय।अंत में माँ की ममता प्राचीन रीति रिवाजों तथा परम्पराओं पर विजय प्राप्त करती है।व्यक्ति के जीवन में ममता,स्नेह तथा प्रेम सर्वोपरि है।यही एक सुखी परिवार की नींव है।एकांकीकार अपने उद्देश्य में शत-प्रतिशत सफल रहे हैं।

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