Hindi, asked by loklokokojm9755, 9 months ago

Sanskirit or jansnchar madhmo ke aapsi parshparik smbandho ka vivechn kijiye

Answers

Answered by Anonymous
0

Answer:

हम सब सामाजिक व्यवस्था में जीते हुए पहचान प्राप्त करते हैं। सामाजिक जीवन में पारस्परिक संबंधों का विशेष महत्व होता है। उस असीम सत्ता ने हमें एक परिवार-परिवेश में उत्पन्न किया, स्वजन व परिजन दिए, विशेष परिस्थितियों में जीते हुए अपनी जीवन-यात्रा का निर्वाह करने का आदेश दिया है; तो क्या इनको नकारना ईश्वर के आदेश की अवहेलना नहीं है? हर संबंध मन व भाव से संबद्ध है- वैयक्तिक स्तर से लेकर वैश्रि्वक स्तर तक। इन सभी संबंधों को दायित्य बोध की मथानी से मथने पर स्नेह, आत्मीयता व माधुर्य का नवनीत प्राप्त होता है, जिससे आचरण में सहजता, सहिष्णुता, सामंजस्य व क्षमाशीलता आदि गुण विकसित होते हैं। संबंधों के संदर्भ में दायित्व पूर्ति के समय बुद्धि का अत्यधिक प्रयोग प्रतिकूल परिस्थिति को उत्पन्न करता है। अहम् की उत्पत्ति के कारण अनुकूलन या सामंजस्य का अभाव सामने आता है और तनाव की स्थिति प्रकट होती है। तनाववश हम स्वयं को आहत, अकेला व असुरक्षित महसूस करने लगते हैं और दायित्व बोध को भूलकर अधिकार प्राप्ति की लड़ाई में शामिल होने से स्वयं को रोक नहींपाते।

Similar questions