SANSKRIT
1.जल संरक्षण पर कोई दो वेद मंत्र अर्थसहित लिखिए।
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आपो यं वः प्रथमं देवयन्त
आपो यं वः प्रथमं देवयन्तइन्द्रानमूर्मिमकृण्वतेळः।।
आपो यं वः प्रथमं देवयन्तइन्द्रानमूर्मिमकृण्वतेळः।।तं वो वयं शुचिमरिप्रमद्य घृतेप्रुषं मधुमन्तं वनेम।।1।।
आपो यं वः प्रथमं देवयन्तइन्द्रानमूर्मिमकृण्वतेळः।।तं वो वयं शुचिमरिप्रमद्य घृतेप्रुषं मधुमन्तं वनेम।।1।।हे जलदेव! देवत्व के इच्छुकों के द्वारा इन्द्रदेव के पीने के लिए भूमि पर प्रवाहित शुद्ध जल को मिलाकर सोमरस बनाया गया है। शुद्ध पापरहित, मधुर रसयुक्त सोम का हम भी पान करेंगे।
2)तमूर्मिमापो मधुमत्तमं वोSपां नपादवत्वा शुहेमा।।
तमूर्मिमापो मधुमत्तमं वोSपां नपादवत्वा शुहेमा।।यस्मिन्निन्द्रो वसुभिर्मादयाते तमश्याम देवयन्तो वो अद्य।।2।।
तमूर्मिमापो मधुमत्तमं वोSपां नपादवत्वा शुहेमा।।यस्मिन्निन्द्रो वसुभिर्मादयाते तमश्याम देवयन्तो वो अद्य।।2।।हे जलदेवता! आपका मधुर प्रवाह सोमरस में मिला है। उसे शीघ्रगामी अग्निदेव सुरक्षित रखें। उसी सोम के पान से वसुओं के साथ इन्द्रदेव मत्त होते हैं। हम देवत्त्व की इच्छावाले आज उसे प्राप्त करेंगे।
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